कब्ज व बवासीर का इलाज

कब्ज व बवासीर का इलाज
कब्ज ,बवासीर के पूर्व का ल्क्षण होता है कब्ज होना अगर कब्ज की चेतावनी को आप नही समझ्ते हैं तो याद रखें छह माह के अन्दर-अन्दर काभी भी आपको यह बवासीर का ना-मुराद हो जाने के संकेत है
कब्ज   बवासीर का मूल कारण हमारे शरीर की आंतो की गर्मी का

बढ. जाना ओर हमारे सरीर मे पानी की कमी हो जाना है। पानी की कमी से आंतों मे खुश्की हो कर उन्मे मल सूखने लग जाता है ओर आंतो की परत से चिप जाता है   और मल निष्कासन में जोर लगाना पडता है कभी कभी आंतो से मल चिपक्ने से आंतो मे घाव भी हो जाते है।
बवासीर रोग को 3 भागों मे बांटा जाता है
1-कब्ज


कब्ज बवासीर से पुर्व का लक्षण होता है जिस्का मत्लब है कि आप्के सरीर मे आंतो की गर्मी बढ गई है ओर पानी की कमी है आप्को सचेत हो जाने की जरुरत है सुबह उठ्ते ही पानी पीजिए थोडी सैर हर रोज करे गर्म तासीर की चीजो का खान पान छोड दे रेशेदार फ़लो सब्जीयो का इस्तेमाल करे थोडा सरीर पर धयान दे ये रोग ठीक हो जाएगा चिन्ता की बात नही है

2--साध्य बवासीर
gas
अगर आप्ने इस रोग की प्र्थम चेताव्नी कब्ज को गंभीरता से नही लिया तो इसकी दुसरी सटेज साध्य बवासीर का सामना करने के लिये तैयार रहना होगा क्योकि कबज के कारण इसकी दूसरी अवस्था मे मल सूक कर आप्की आंतो मे जम जाने से बवासीर नामक रोग हो जाएगा जिस्के परिणाम गंभीर होते जाएंगे इस अवस्था को भी थोडे कशट के साथ ठीक किया जा सकता है जिस्मे आप्को सबसे पहले पुरी तरह कबज को ठीक करना होगा ओर कबज ठीक होने के साथ साथ बवासीर का इलाज भी करना होगा
3- कष्ट साध्य बवासीर
बवासीर के भी अन्देखा करने के बाद होने वाले रोग का नाम है कष्ट साध्य बवासीर इमे रोग तो तक्रीबान वही होता है मगर बीमारी तक्लीफ़ का दाय्ररा बड. जाता है बिमारी मे गुदा के रासते खून गिरने लग सक्ता है,मस्से भी हो सकते हैं, भगंदर भी हो सकती है  तक्लीफ़ मे बैठ्ने मे दिक्कत, चलने फ़िरने मे दिक्कत, पेट मे गैस,अफ़ारा,पेट का बढ जाना,   हाजिमा खराब हो जाना इत्यादि हो सकते है,
कब्ज व बवासीर का इलाज
धयान रखें कि एलोपैथिक दवाओ मे इस रोग का इलाज ढूंड कर समय खराब ना करें ओर ना ही आप्रेशन इस बीमारी का उप्चार है इस बीमारी का सही उप्चार तो अपने सरीर का खान पान का संतुलन बनाकर अपने घर पर ही कर सकते है जिस्के लिये नीचे कुछ आसान प्र्योग लिखे गये हैं 


1- पक हुआ (बेलपत्र फ़ल ) बिल्व फ़ल कब्ज के लिये अति श्रेष्ठ औषधि है। इस फ़ल को पानी में उबाल कर मसल लें ओर इसका रस निकालकर हर रोज 40 दिन तक लगातार पियें। इस्से बवासीर रोग के साथ साथ कबज भी ठीक जो जाती है
2- इसबगोल का भूसा कबज में बहुत गुण्कारी है 2-2 चमच सुबह शाम पानी के साथ इसबगोल सुबह  रात को सोते समय लेना फ़ायदेमंद है दस्त खुल कर होने लगता है। इसके प्र्योग से आंतो की खुशकी दूर होती है तथा आंतों की सक्रियता बढाता है मल को आंतो से चिपक्ने नही देता यह एक कुदरती रेशा है जो कुद्रत ने हमे जडी बूटीके रूप मे दिया है
कब्ज व बवासीर  
 -3 एक कप गरम पानी मे 1 चम्म्च शुध शहद मिलाकर पीने से कब्ज का रोग मिट जाता है। यह योग हर रोज दिन मे 2-3 दफ़ा पीना लगातार पीना चाहीए यह कबज के साथ साथ पूरे सरीर के लिए हित्कारी है।

4 -अलसी के बीजों को पीस्कर पावडर बना लें। एक गिलास
 पानी मे 10 ग्राम के करीब यह पावडर डाल लें और 2-3 घन्टे तक भीग्ने दें फ़िर छानकर यह पानी पी जाएं। यह कबज बवासीर तथा सरीर की खुशकी का बेहद सस्ता ओर फ़ाय्देमंद ईलाज है। अलसी में प्रचुर मात्रा मे रेशा ओमेगा फ़ेटी एसिड् वगैरा होते हैं जो कब्ज,बवासीर निवारण में भूमिका निभाते हैं।
5-  अंजीर फ़ल जिसको कुदरत ने कब्ज रोग निवारण के लिये ही बनाया है। अंजीर फ़ल जिसका आकार भी गुदा के आकार से मिलता है। अंजीर फ़ल के 5 नग ले कर रात  को मिटी के बर्तन यानी हाडी मे 2 गिलास पानी भर कर भिगो दें ये भीगे हुए अंजीर फ़ल सुबहखाली पेट निरना बासी चबा चबा कर खाएं। यह आंतो की खुशकी को दुर करर्के आंतों चीकना बनाता है सरीर मे पानी की कमी को दुर करता है  कब्ज  बवासीर का नाश करता है अंजीर फ़ल
6--अगर कबज का प्रकोप अधिक हो तो कौडतुम्बा ले कर पैरो के तल्वो मे रात को मसल लें इस्से दसत खुल कर आता है

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