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गठिया:(Gout) रोग की बाधें गांठ


gout disease imageaगठिया एक भयानक व अत्यंत पीड़ा जनक रोग है इसे आमवात भी कहा जाता है ।
लक्षण-गठिया के रोग में रोगी के जोडों में दर्द होता है जोडों के आस पास गांठें भी बन जाती हैं, शरीर मे यूरिक एसीड की मात्रा बढ जाती है। छोटे -बडे जोडों में सूजन का प्रकोप होता रहता है। यूरिक एसीड के कण (क्रिस्टल्स)घुटनों व अन्य जोडों में जमा हो जाते हैं।जोडों में दर्द के मारे रोगी का बुरा हाल रहता है।गठिया के पीछे यूरिक एसीड की अहम भूमिका होती है। इस रोग की सबसे बडी पहचान ये है कि रात को जोडों का दर्द बढता है और सुबह अकडन मेहसूस होती है। यदि शीघ्र ही उपचार कर नियंत्रण नहीं किया जाए तो जोडों को स्थायी नुकसान भी हो सकता है ।
जरूरी उपाय: गठिया के ईलाज करने के लिए शरीर से यूरिक एसीड बाहर निकालने का प्रयास जरूर होना चाहिये। यह यूरिक एसीड प्यूरीन के चयापचय के दौरान हमारे शरीर  में निर्माण होता है। प्यूरिन तत्व मांस में सर्वाधिक होता है।इसलिये गठिया रोगी के लिये मांसाहार जहर के समान है। वैसे तो हमारे गुर्दे यूरिक एसीड को पेशाब के जरिये बाहर निकालते रहते हैं। लेकिन कई अन्य कारणों की मौजूदगी से गुर्दे यूरिक एसीड की पूरी मात्रा पेशाब के जरिये निकालने में असमर्थ  हो जाते हैं। इसलिये इस रोग से मुक्ति के लिये जिन भोजन पदार्थो में पुरीन ज्यादा होता है,उनका उपयोग कतई न करें। मांसाहार शरीर में अन्य कई रोग पैदा करने के लिये भी उत्तरदायी है।  वैसे तो पतागोभी,मशरूम, हरे चने,वालोर की फ़ली में भी पुरिन ज्यादा होता है ।
लेकिन इनसे हमारे शरीर के यूरिक एसीड लेविल पर कोई ज्यादा  विपरीत असर नहीं होता है। अत: इनके इस्तेमाल पर रोक नहीं है। जितने भी सोफ़्ट ड्रिन्क्स हैं सभी परोक्ष रूप से शरीर में यूरिक एसीड का स्तर बढाते हैं,इसलिये सावधान रहने की जरूरत है।
उपचार:
1-गठीया के उपचार में सबसे जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मौसम के मुताबिक 3 से 5 लिटर पानी पीने की आदत डालें। ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक विजातीय पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।
2- आलू का ताजा रस 100 ग्राम भोजन के पूर्व लेना हितकर है।
3- संतरे के 150 ग्राम रस में 10 ग्राम कार्ड लिवर आईल मिलाकर सोने से पूर्व लेने से गठिया में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
4- लहसुन,गिलोय,देवदारू,सौंठ,अरंड की जड ये पांचों पदार्थ 50-50 ग्राम लें। इनको कूट-पीस कर शीशी में भर लें। 2 चम्मच की मात्रा में  एक गिलास पानी में डालकर  ऊबालें ,जब आधा रह जाए तो उतारकर छान लें और ठंडा होने पर पी लें। ऐसा सुबह शाम करने से गठिया में अवश्य लाभ होगा।
5- हार सिंगार (परिजात) के पांच पत्ते पीसकर एक गिलास पानी में डालकर उबालें काढा बनाने ले लिए चढायें जब आधा रह जाए तब ठंडा होने पर  पीना चाहिए ।  इस उपचार से बीस साल पुराना  गठिया  का दर्द भी ठीक  हो जाता है|
6-बथुआ (सब्जी) के ताजे पत्तों का रस 20 ग्राम प्रतिदिन पीने से  गठिया में आशानुरुप लाभ होता है। इस रस में नमक अथवा शकर नहीं मिलाना है। सुबह खाली पेट लेंगे तो ज्यादा फ़ायदा होगा। यह प्रयोग लगातार 3-4 माह तक चलाना चाहीए।
7- असगंध और मिश्री दोनों समान भाग यानि 30-30 ग्राम लेकर कूट पीस कर महीन बनाकर कपडे में छानकर इस पावडर को शीशी में भर कर रख लें। 4-6 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ सुबह -शाम रोगी को दें। गठिया  के जिस रोगी ने बिस्तर पकड लिया हो वह भी इस योग से चलने फ़िरने योग्य हो जाएगा। गठिया का दर्द भी समाप्त हो जाएगा।


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डेंगू की चिकित्सा


आजकल डेंगू एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है, जिससे कई लोगों की जान जा रही है l
डेंगू एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज ही नहीं है मगर इसको दबाय़ा जो सकता है । परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l वायरल रोग डेंगू
तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l
यदि आपके किसी भी जानकार को यह रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो चित्र में दिखाई गयी चार चीज़ें रोगी को दें :
1) अनार जूस
2) गेहूं घास रस
3) पपीते के पत्तों का रस
4) गिलोय/अमृता/अमरबेल सत्व

- अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l
- पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में 2 से 3 बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l
- गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में 2-3 बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है l यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर "गिलोय घनवटी" ले आयें जिसकी एक एक गोली रोगी को दिन में 3 बार दें l

यदि बुखार एक दिन से ज्यादा रहे तो खून की जांच अवश्य करवा लें l
यदि रोगी बार बार उलटी करे तो सेब के रस में थोडा नीम्बू मिला कर रोगी को दें, उल्टियाँ बंद हो जाएंगी l
ये रोगी को अंग्रेजी दवाइयां दी जा रही है तब भी यह चीज़ें रोगी की बिना किसी डर के दी जा सकती हैं l
डेंगू जितना जल्दी पकड़ में आये उतना जल्दी उपचार आसान हो जाता है और रोग जल्दी ख़त्म होता है l
रोगी के खान पान का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि बिना खान पान कोई दवाई असर नहीं करती l

पिता पथरी


calculus in Gallbladder, Stone,Gallstone
पिता पथरी  gall stones,Calculus image


 पित्ते की पथरी के मरीज को यथा संभव पिता निकवाने से बचना चाहीये व इस्का निदान भारतीय जडी बूटीयो की पावर का लाभ लेने के लिए निमन्लिखित योगों का इस्तेमाल करके फ़ायदा उठाना चाहीए जिसके लिए आसान घरेलू नुस्खे नीचे लिखे जा रहे है  जिनका उपयोग करने से  इस भंयकर रोग से होने वाली परेशानी में राहत व मुकती मिल सकती है
इन दवाओ से लगातार 3 माह तक इलाज जारी रखने पर रोग से यथासंभव मुक्ति मिल जाती है।
1-नींबू  का रस 10 ग्राम की मात्रा में सुबह खाली पेट पीयें हर रोज लगातार दो सप्ताह तक पीना चाहीए यह पित्ता पथरी को गला कर बाहर निकालता है।
2- जैतून का तेल 20-25 मिली ग्राम मात्रा मे सुबह खाली पेट पीए । इसके तत्काल बाद में 100 ग्राम अंगूर का रस या निम्बू का रस 30 ग्राम पी लें । यह दवा 21 दिन तक जारी काफ़ी बढीया नतीजे मिलते हैं।
3- गाजर और ककडी का रस 100-100 ग्राम की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीते रहने से लाभ होता है।
Calculus in Gallbladder

  पथय व अप्थय-  पित्त पथरी के रोगी के भोजन में पूरी मात्रा में हरी व रेशेदार  सब्जीयां और फ़ल नियमित रुप से दें । तथा जरुरत से कम भोजन करे व सिरफ़ दो समय सादा खाना लेI
पानी - सुबह खाली पेट व रात को सोते समय गरम किया हुआ पानी पेने की आदत डाले व यथा संभव सिरफ़ गरम पानी का पर्योग करे I

अप्थय-खटी, खटाई युकत चीजें,बासी,तली-गली,मसालेदार, वसा युकत,चीजों का सखत परहेज जरुरी है।
शीतल पानी बिल्कुल ना पीएं I

मोटापे का आसान इलाज

body of fat baby -herbspowerofindia
मोटापे का आसान इलाज

अनकंट्रोल डाइट और बिगड़ती दिनचर्या के कारण दिनो-दिन बढ़ता मोटापा कम करना बहुत मुश्किल काम है। इसे कम करने के लिए परहेज व दवाइयों का सहारा लेना पड़ता है या फिर कसरत करना पड़ती है।
मोटापा कम करने के लिए दवाईयां खाने से बेहतर है कुछ घरेलू नुस्खें अपनाने का। इन घरेलू नुस्खों से आप न सिर्फ पूरे शरीर का मोटापा कम कर सकते हैं बल्कि शरीर में उपचय या अपच की समस्या को भी दूर कर सकते हैं। क्योकि बाजार की दवा का दुष्परिणाम भी होते हैं जो बीमारी घटाने की जगह बढ़ा देते है

रोजाना 12 से 15 गिलास पानी श्री तुलसी की एक एक बूँद दल कर  पीएं, संभव हो तो गुनगुना पानी अधिक पीएं
हर रोज फ़ैट अवे गोली का नियनीत इस्ते माल करे एहसारीर मैं जमा चर्बी को गलाकर वजन को प्रकीर्तिक तरीके से कम करती है (30 गोली की कीमत 300 रुपये )
इसके साथ ही आलॉवेरा जूस 2-2 चमच सुबह शाम लेना चाहिए (कीमत 350-00 भर 500 ग्राम)
इस पर्योग से निसचीत लाभ होता है
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हार्टएटेक दिल का रोग

 heart attack हार्टएटेक-जानलेवा बीमारी पर काबू

heart attack herbspowerodindia
यह एक जानलेवा बीमारी है आज के दोर मैं किसी भी इंसान को शिकार बन सकती है यह बीमारी
हार्टएटेक-जानलेवा बीमारी पर काबू पाने के लिए हार्ट स्ट्रॉंग गोली का इस्तेमाल करना हरेक व्यक्ति के लिए ज़रूरी है (कीमत 30 गोली 300-00) ओर साथ मे *अर्जुनअरिष्ट 2-2 चमच सुबह शाम लेना चाहिए
यह ह्रदये को बाल देती हैं कोलेस्ट्रॉल को कम करती है खून को पतला करके दिल की नसों को लचीला बनकर नडिओं मैं आने वाले अवरोध की संभावना को ख़तम कर देती है 
हर रोज एक केला नियमित रूप मैं चबा कर या चाट बना कर ज़रूर खाना चाहिए
केला उच्च रक्तचाप में दी जानेवाली दवा एस -इनहीबिटर के रूप में काम करता है। तो आज से ही नाश्ते में लें एक पूरा केला या फिर केले से बनाएं फ्रूट सलाद ,इससे मिलेगा पोटेशियम और विटामिन सी और रक्तचाप भी रहेगा नियंत्रित है न मजे की बात
इस लिए डोरा पड़ने का इंतजार किरे बागेर इस बीमारी से बचने की कॉसिश करनी चाहिए
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सफेद दाग फ़ुलहरी रोग

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सफेद दाग फ़ुलहरी रोग

*अनार का सेवन इस रोग में बहुत ही लाभदायक है। अनार के पत्तों के रस को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

*10 ग्राम लाल चंदन और 10 ग्राम अनारदाना को पीसकर सहदेवी के रस में मिलाकर गोलियां बना लें। इन गोलियों को घिसकर पानी के साथ लेप करने से बहुत लाभ होता है।

*अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें और कपड़े में छान लें। इस चूर्ण की 8-8 ग्राम सुबह और शाम ताजे पानी से फंकी लें।

डायबिटीज बुरी नही है सिर्फ़ डायबिटीज का रोग बुरा है

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बिछूबूटी,सदाबहार बूटी,रतन जोत के फ़ूल- डायबिटीज बुरी नही है सिर्फ़ डायबिटीज का रोग बुरा है । डायबिटीज के बगैर तो आपका सरीर चल फ़िर ही नही सक्ता समझ्ने  की बात तो यह है कि डायबिटी के बगैर हम जी भी नही सकते बुरा सिर्फ़ डायबिटीज रोग है जो इस्के बढने या घटने की चाल को कह्ते हैं  जब हमारा सरीर शूगर  की मात्रा पर कन्ट्रोल करना कम कर देता है तो इस्की मात्रा घटने या बढने लग जाती है तो इस्को डायबिटीज रोग कहा जाता है । यह एक घातक किसम का रोग है जो मानव जिसम को अन्दर से खोख्ला कर देता है । इस रोग मे रोगी को धैर्य रखना अती जरुरी है डायबिटीज का रोगी अगर धैर्य रख कर इलाज शुरु करे ओर संयमित रहे ओर प्रहेज रखे तो ये नही हो सकता  कि डायबिटीज का रोग आपके सरीर मे रहे ।
diabetesइलाज
- इस्का सबसे आसान व सस्ता इलाज मोजूद है मगर बात वही धैर्य रख कर इस पर कन्ट्रोल करने की है ।
इस्के इलाज के लिए शाम को ३ बजे बैंगनी रंग के बिछूबूटी के तीन फ़ूल लें (दोपहर खिडी, जिस्को रतन जोत, सदा बहार, ओर बिछूबूटी के नाम से भी जाना जाता है इस्के बैंगनी व सफ़ैद रंग के फ़ूल होते है ) ओर १०० ग्राम पानी गर्म करके इस पानी को एक कांच के गिलास मे डाल कर इस गर्म पानी मे ये तीनो फ़ूल डाल दे ओर सुबह होने तक ढक कर रख दें
सुबह खाली पेट यह पानी पी लें ओर आधा घन्टा बाद तक कुछ नही खाना पीना है।
 आधे घनटे के बाद हिमालय़्न बेरी जूस १० ग्राम ले गरम पानी से लें
इस तरह लगातार तीन दिन लेकर फ़ूल वाला पानी एक हफ़ता छोड दें हिमालय़्न बेरी जूस छह माह तक लगातार लेते रहें ।
फ़ूल वाला पानी सात दिन छोड कर फ़िर तीन दिन लेते रहें यानी पहले मास नो दिन लें फ़िर एक मास बन्द फ़िर एक माह शुरु यानी कुल ६ मास मे आपने ५४ दिन फ़ूल वाली दवा लेनी है ।
इस दवा को शुरु करने से पहले अप्ना शुगर का सत्र चैक करवा कर दवा शुरु करें । 
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डायबिटीज के कारण कई लोगों को बार-बार मुंह सूखने की समस्या होती है। यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो जब भी मुंह सूखे एक सुपारी का टुकड़ा मुंह में रखें। ऐसे लोगों को इस स्थिति से बचने के लिए सुपारी बहुत मदद करती हैं, क्योंकि इसे चबाने से बड़ी मात्रा में लार पैदा होती है।
साथ मे सुबह कम से कम आधा घन्टा नंगे पैर हरी घास पर सैर जरुर करें


भाग दौड की दिनचर्या अनियमित खान-पान हर निय्मित समय पर किये जाने वाले कार्य के अस्मय हो जाने के कारण बडी संखया मे लोग कम उम्र मे ही डायबिटीज का शिकार होते जा रहे हैं। डायबिटीज के मरीज को सिरदर्द, थकान जैसी समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं। डायबिटीज में खून में शुगर की मात्रा बढ जाती है। वैसे इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। परंतु जीवनशैली में बदलाव, शिक्षा तथा खान-पान की आदतों में सुधार द्वारा रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। डायबिटीज के मरीज को अपने डाइट प्लान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। डायबिटीज हो जाने का मूल कारण पैंक्रियाज मे कुदर्ती तरीके से निर्माण होने वाली इंसुलिन की मात्रा का कम हो जाना होता है जिस वकत इंसुलिन कम मात्रा मे निर्माण होने लगती है उस वकत डायबिटीज अनिय्मित हो जाती है ओर नियंत्रण मुकत हो कर रोग का रूप धारन कर लेती है जो कम या अधिक के रूप मे हो सकती है
डायबिटीज को नियंत्रण करने के कई तरीके हैं आइए हम मधुमेह रोगियों के लिए कुछ घरेलू उपाय लिखे जा रहे  हैं।
सबसे खास यह है कि हर रोज सुबह के समय सुर्य उगने से पहाले उठ कर नंगे पांव हरी घास पर कम से कम 20 से 30 मिन्ट या अधिक समय तक सैर लगातार करनी जरूरी है  

मधुमेह,डायबिटीज के लिए अन्य घरेलू उपचार

1-   10 मिग्रा आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी  के पाउडर में मिला लीजिए। इस घोल को दिन में दो बार लीजिए। इसको लेने से खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।

2 रतन्जोत, के 3 फ़ूल बैंगनी रंग के ले कर आधा गिलास हलका गर्म पानी कांच के गिलास में ले कर उस्मे शाम को 2-3 बजे फ़ूल डाल कर उपर से ढक कर रख दें ओर अगले दिन सुबह खाली पेट इस्को पी ले I
*इस तरह 10 दिन लगातार करें 20 दिन छोड दें तीन माह तक दोहराएं I
    अपने सभी टैसट कर्वा कर दवा शुरु करें बीच मे भी टैसट करवा कर     
    देखें कोर्स पुरा होने के बाद भी टैसट करवा कर नतीजे जो भी हों हमारे   
    कमेन्ट बाकस मे जरुर लिखे I 

3-  औसत आकार का एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला को लीजिए। इन तीनों को मिलाकर जूस निकाल लीजिए। इस जूस को हर रोज सुबह-सुबह खाली पेट लीजिए। इससे डायबिटीज में फायदा होता है। 

4- डायबिटीज के मरीजों के लिए सौंफ बहुत फायदेमंद होता है। सौंफ खाने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है। हर रोज खाने के बाद सौंफ खाना चाहिए। 

5-    मधुमेह के रोगियों को जामुन खाना चाहिए। काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है। जामुन को काले नमक के साथ खाने से खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है। 

6- स्टीविया का पौधा मधुमेह रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। स्टीविया बहुत मीठा होता है लेकिन शुगर फ्री होता है। स्टीविया खाने से पैंक्रियाज से इंसुलिन आसानी से मुक्त होता है। 

7-डायबिटीज के मरीजों को शतावर का रस और दूध का सेवन करना चाहिए। शतावर का रस और दूध को एक समान मात्रा में लेकर रात में सोने से पहले मधुमेह के रोगियों को सेवन करना चाहिए। इससे मधुमेह नियंत्रण में रहता है।

 

लकवा रोग का आसान इलाज

लकवा रोग का आसान इलाज 
लकवा, जिसे फालिज या पक्षाघात कहते हैं, 
ध्यान देने योग्य एक बात यह है  कि सिर्फ आलसी जीवन जीने से ही नहीं, बल्कि इसके विपरीत अति भागदौड़, क्षमता से ज्यादा परिश्रम या व्यायाम, अति आहार आदि कारणों से भी लकवा होने की स्थिति बनती है।
ज्यादातर प्रौढ़ आयु के बाद ही होता है, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि बहुत पहले से बनने लगती है।
युवावस्था में की गई गलतियाँ-भोग-विलास में अति करना, मादक द्रव्यों का सेवन करना, आलसी रहना आदि कारणों से शरीर का स्नायविक संस्थान धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, इस रोग के आक्रमण की आशंका भी बढ़ती जाती है।
 जब एक या एकाधिक मांसपेशी समूह की मांसपेशियाँ कार्य करने में पूर्णतः असमर्थ हों तो इस स्थिति को पक्षाघात या लकवा मारना कहते हैं। पक्षाघात से प्रभावी क्षेत्र की संवेदन-शक्ति समाप्त हो सकती है या उस भाग को चलना-फिरना या घुमाना असम्भव हो जाता है। यदि दुर्बलता आंशिक है तो उसे आंशिक पक्षाघात कहते हैं।
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कारण

पक्षाघात तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जिस तरह किसी व्यक्ति के हृदय में जब रक्त आपूर्ति का आभाव होता तो कहा जाता है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया है उसी तरह जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को मस्तिष्क का दौरा पड़ गया है।
शरीर की सभी मांस पेशियों का नियंत्रण केंद्रीय तंत्रिकाकेंद्र (मस्तिष्क और मेरुरज्जु) की प्रेरक तंत्रिकाओं से, जो पेशियों तक जाकर उनमें प्रविष्ट होती हैं,से होता है। अत: स्पष्ट है कि मस्तिष्क से पेशी तक के नियंत्रणकारी अक्ष के किसी भाग में, या पेशी में हो, रोग हो जाने से पक्षाघात हो सकता है। सामान्य रूप में चोट, अबुद की दाब और नियंत्रणकारी अक्ष के किसी भाग के अपकर्ष आदि, किसी भी कारण से उत्पन्न प्रदाह का परिणाम आंशिक या पूर्ण पक्षाघात होता है।

लकवा-पक्षाघात-फालिज के प्रका
अर्दित - सिर्फ चेहरे पर लकवे का असर होने को अर्दित (फेशियल पेरेलिसिस) कहते हैं। अर्थात सिर, नाक, होठ, ढोड़ी, माथा तथा नेत्र सन्धियों में कुपित वायु स्थिर होकर मुख को पीड़ित कर अर्दित रोग पैदा करती है।
एकांगघात - इसे एकांगवात भी कहते हैं। इस रोग में मस्तिष्क के बाह्यभाग में विकृति होने से एक हाथ या एक पैर कड़ा हो जाता है और उसमें लकवा हो जाता है। यह विकृति सुषुम्ना नाड़ी में भी हो सकती है। इस रोग को एकांगघात (मोनोप्लेजिया) कहते हैं।
सर्वांगघात - इसे सर्वांगवात रोग भी कहते हैं। इस रोग में लकवे का असर शरीर के दोनों भागों पर यानी दोनों हाथ व पैरों, चेहरे और पूरे शरीर पर होता है, इसलिए इसे सर्वांगघात (डायप्लेजिया) कहते हैं।
अधरांगघात - इस रोग में कमर से नीचे का भाग यानी दोनों पैर लकवाग्रस्त हो जाते हैं। यह रोग सुषुम्ना नाड़ी में विकृति आ जाने से होता है। यदि यह विकृति सुषुम्ना के ग्रीवा खंड में होती है, तो दोनों हाथों को भी लकवा हो सकता है। जब लकवा 'अपर मोटर न्यूरॉन' प्रकार का होता है, तब शरीर के दोनों भाग में लकवा होता है।
बाल पक्षाघात - बच्चे को होने वाला पक्षाघात एक तीव्र संक्रामक रोग है। जब एक प्रकार का विशेष कृमि सुषुम्ना नाड़ी में प्रविष्ट होकर वहाँ खाने लगता है, तब सूक्ष्म नाड़ियाँ और माँसपेशियां आघात पाती हैं, जिसके कारण उनके अधीनस्थ शाखा क्रियाहीन हो जाती है। इस रोग का आक्रमण अचानक होता है और प्रायः 6-7 माह की आयु से ले कर 3-4 वर्ष की आयु के बीच बच्चों को होता है।
अगर लकवा अगर रोगी ह्रीष्ट-पुष्ट है तो उसे 5-6 दिन का उपवास कराना चाहिये। कमजोमिलेगी।रोगी को सीलन रहित और तेज धूप रहित कमरे मे आरामदायक बिस्तर पर लिटाना चाहिये।
लकवा रोग
र शरीर वाले के लिये 2-3 दिन के उपवास करना उत्तम है। उपवास की अवधि में रोगी को सिर्फ़ पानी में शहद मिलाकर देना चाहिये। एक गिलास जल में एक चम्मच शहद मिलाकर देना चाहिये। इस प्रक्रिया से रोगी के शरीर से विजातीय पदार्थों का निष्काशन होगा, और शरीर के अन्गों पर भोजन का भार नहीं पडने से नर्वस सिस्टम(नाडी मंडल) की ताकत पुन: लौटने में मदद

उपचार 

 उपवास के बाद रोगी को कबूतर का सूप देना चाहिये। कबूतर न मिले तो चिकन का सूप दे सकते हैं। शाकाहारी रोगी मूंग की दाल का पानी पियें। रोगी को कब्ज हो तो एनीमा दें।

     १० ग्राम सूखी अदरक और १० ग्राम बच पीसलें इसे ६० ग्राम शहद मिलावें। यह मिश्रण रोगी को ६ ग्राम रोज देते रहें।
      लहसुन की  ४  कली पीसकर दो चम्मच शहद में मिलाकर रोगी को चटा दें।
  लकवा रोगी का ब्लड प्रेशर नियमित जांचते रहें। अगर रोगी के खून में कोलेस्ट्रोल का लेविल ज्यादा हो तो ईलाज करना वाहिये।
  रोगी तमाम नशीली चीजों से परहेज करे। भोजन में तेल,घी,मांस,मछली का उपयोग न करे।




     बरसात में निकलने वाला लाल रंग  का कीडा वीरबहूटी लकवा रोग में बेहद फ़ायदेमंद है। बीरबहूटी एकत्र करलें। छाया में सूखा लें। सरसों के तेल पकावें।इस तेल से लकवा रोगी की मालिश करें। कुछ ही हफ़्तों में रोगी ठीक हो जायेगा। इस तेल को तैयार करने मे निरगुन्डी की जड भी कूटकर डाल दी जावे तो दवा और शक्तिशाली बनेगी।

     एक बीरबहूटी केले में मिलाकर रोजाना देने से भी लकवा में अत्यन्त लाभ होता है।

        सफ़ेद कनेर की जड की छाल और काला धतूरा के पत्ते बराबर वजन में लेकर सरसों के तेल में पकावें। यह तेल लकवाग्रस्त अंगों पर मालिश करें। अवश्य लाभ होगा।
        लहसुन की ५ कली दूध में उबालकर लकवा रोगी को नित्य देते रहें। इससे ब्लडप्रेशर ठीक रहेगा और खून में थक्का भी नहीं जमेगा।

उच्च रक्त शर्करा, High Blood Sugar

उच्च रक्त शर्करा, High Blood Sugar
उच्च रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के उपाय
एक सूखी मिक्सर / चक्की में पालन पीस
1 मेथी के बीज (मेथी के बीज) = 100gms
2 दालचीनी लाठी (daalcheeni) = 100gms
3 बे पत्तियों (तीज पत्ता) = 5 से 6 पत्ते
उच्च रक्त शर्करा, High Blood Sugar

4 लौंग (Lauang) = 7 से 8 पीसी
5 जीरा बीज (जीरा) = 2 TBL चम्मच
6 बिग Cardamum (मोती elachi) 4 से 6 पीसी
7 काला नमक (काला नमक) = 50 ग्राम
8 काली मिर्च (mirach काली) = 50 ग्राम
9 हल्दी (हल्दी पाउडर) = 20 ग्राम

एक हवा टाइट कंटेनर में पाउडर मिश्रण डाल दिया. एक गिलास पानी में पाउडर का एक चम्मच मिश्रण और नींबू का रस जोड़ सकते हैं और यह सुबह में खाली पेट 1 बात पीते हैं. रात के खाने के yogut (दही) के साथ 1 टी चम्मच मिश्रण के बाद आप भी इसे ले सकते हैं.
इसके अलावा कच्चे लहसुन 2-3
टुकड़े खाते हैं.
रात के खाने के साथ हर दिन 1 कच्चे प्याज का सेवन करें.
आदर्श प्याज / लहसुन / ककड़ी / टमाटर / नींबू के रस का एक सलाद बनाने के लिए किया जाएगा

चावल के insted खाओ रोटी (चपाती)
30 दिनों के बाद उपाय है, तो 30 दिनों के लिए इस उपचार की कोशिश यह शुरू करने से पहले अपने रक्त शर्करा को मापने और .... फर्क महसूस होता है.

कैंसर के इलाज के लिए

कैंसर के इलाज के लिए Graviola
 cancer foghter

graviola या guanábana,Soursop, भी कहा जाता है ,एक पेड़ है मध्य अमेरिका, अमेज़न क्षेत्र और मुख्य रूप से पोलिनेशिया में बढ़ता है. .  
इसके फल सभी प्रकार के कैंसर स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और फेफड़ों के कैंसर के खिलाफ बहुत कुशलता से काम करता है. .

 
यह घातक कोशिकाओं को ही निशाना बनाता है. इस प्रकार यह कैंसर के सब प्रकार के उपचार में बहुत प्रभावी है पाया गया है कि जैसे दुष्प्रभाव, बालों के झड़ने, वजन घटाने, मितली आदि से बचाता है.

कई सक्रिय यौगिकों और रसायनों इसकी पत्ती, तना, छाल, और फल के बीज में, Soursop में विशेष Annonaceous Acetogenins पाया गया है. Soursop में रसायनों और acetogenins  कैंसर विरोधी tumorous, और विरोधी वायरल गुण प्रदर्शित करता है. Soursop में पाया ये acetogenins केवल कैंसर ट्यूमर कोशिकाओं के लिए अत्यधिक प्रभावी:
है फेफड़े, स्तन, प्रोस्टेट, अग्नाशय, पेट, जिगर, लिंफोमा, बहु - दवा प्रतिरोधी मानव स्तन, डिम्बग्रंथि, गर्भाशय ग्रीवा, मूत्राशय और त्वचा कैंसर और अन्य.
हर्बल गुण
मुख्य क्रिया अन्य क्रियाएँ मानक खुराक कैंसर की कोशिकाओं को मारता है अवसाद से राहत मिलती है
पत्ते,
ट्यूमर के विकास को धीमा कर देती है ऐंठन कम कर देता है
आसव: 3 बार दैनिक 1 कप
बैक्टीरिया को मारता है,वायरस को मारता है
मिलावट: 2-4 मिलीग्राम 3 बार दैनिक
परजीवी मारता ,बुखार कम कर देता है,हृदय की दर को कम करती है,पाचन उत्तेजित करता
है ,रक्त वाहिकाओं फैल जाती है,आक्षेप बंद हो जाता है
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