योनि छोटी करने के लिए के लिए

योनि छोटी करने के लिए के लिए

पति सहवास में अति करने, अप्राकृतिक एवं असुविधापूर्ण आसनों में अति वेग के साथ सहवास करने, अति प्रसव करने और शरीर के कमजोर एवं शिथिल होने के कारण स्त्रियों का योनि मार्ग ढीला, पोला और विस्तीर्ण हो जाता है, जिससे सहवास करते समय सुख एवं आनन्द की अनुभूति नहीं होती।
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ऐसी स्थिति में प्रायः पति  सहवास क्रिया में रुचि नहीं ले पाते और कोई-कोई पति परस्त्रीगमन की ओर उन्मुख हो जाते हैं। विलासी एवं रसिक स्वभाव के पति घर की सुन्दर नौकरानियों से ही यौन संबंध कायम कर लेते हैं। इस व्याधि को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय उपयोगी एवं कारामद सिद्ध हुए हैं।
इस बीमारी से निजात पाना कोई बड़ी मुश्किल नही है अप लगतार 3 माह तक हमरी गोली नाइट पवार का तथा हिमलियान बेरी जूस का इस्तेमाल करे तथा लगाने का लिए नीचे दी गयी  कोई एक चिकित्सा करे
(1) भांग को कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें। इस चूर्ण को 5-6 ग्राम (एक छोटा चम्मचभर) मात्रा में, एक महीन मलमल के साफ सफेद कपड़े पर रखकर छोटी सी पोटली बनाकर मजबूत धागे से बांध दें। धागा लम्बा रखें, ताकि धागे को खींचकर पोटली बाहर खींची जा सके। रात को सोते समय इस पोटली को पानी में डुबोकर गीली कर लें एवं योनि मार्ग में अन्दर तक सरकाकर रख लें और सुबह निकालकर फेंक दें। लाभ न होने तक यह प्रयोग जारी रखें।
(2) माजूफल का चूर्ण 100 ग्राम मोचरस का चूर्ण 50 ग्राम और लाल फिटकरी 25 ग्राम। सबको कूट-पीसकर मिलाकर रखें। पहले 20 ग्राम खड़े मूंग 3 कप पानी में खूब उबालें और बाद में छानकर इस पानी से डूश करें। एक रूई का बड़ा फाहा पानी में गीला कर निचोड़ लें और इस पर ऊपर बताया चूर्ण बुरककर यह फाहा सोते समय योनि में रखें। इन दोनों में से कोई एक प्रयोग कुछ दिन तक करने से योनि तंग और सुदृढ़ हो जाती है।
(3) मैनफल, मुलहठी और कपूर तीनों को समान मात्रा में खूब कूट-पीसकर महीन करके मिला लें और पोटली बना लें। चुटकीभर माजूफल का महीन पिसा चूर्ण जरा से शहद में मिला लें। इस लेप को अंगुली से योनि के अंदर ठीक प्रकार सब तरफ लगाकर यह पोटली सोते समय योनि के अंदर सरकाकर रख दें। प्रातः इससे निकालकर फेंक दें।
(4) कूठ, धाय के फूल, बड़ी हरड़, फिटकरी, माजूफल, लोध्र, भांग और अनार के छिलके सब 10-10 ग्राम, इन्हें कूट-पीसकर चूर्ण कर लें 250 ग्राम शराब में डालकर 7 दिन तक रखें। दिन में 2-3 बार हिला दिया करें। आठवें दिन कपड़े से छानकर शीशी में भर लें इसमें रूई का फाहा भिगोकर योनि में अंदर चारों तरफ लगाने से योनि की शिथिलता, विस्तीर्ण तथा दीर्घमुख होने की स्थिति दूर होती है। आवश्यकता रहे तब तक यह प्रयोग
करते रहना चाहिए।
यह सभी उपाय एक से बढ़कर एक हैं, एक बार में सिर्फ एक ही उपाय करें

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