अपस्मार ,मिर्गी

अपस्मार (मिर्गी) (एपिलेप्सी) रोग की चिकित्सा-

मिर्गी एक नाडी संबंधित रोग है जिसमें मस्तिष्क की विद्युतीय प्रक्रिया में व्यवधान पडने से शरीर के अंगों में आक्छेप आने लगते हैं। दौरा पडने के दौरान ज्यादातर रोगी बेहोंश हो कर गिर जाते हैं और आंखों की पुतलियां उलट जाती हैं। रोगी चेतना विहीन हो जाता है और शरीर के अंगों में झटके आने शुरू हो जाते हैं। मुंह में झाग आना मिर्गी का प्रमुख लक्छण है।
आधुनिक चिकित्सा विग्यान में मिर्गी की लाक्छणिक चिकित्सा करने का विधान है और जीवन पर्यंत दवा-गोली पर निर्भर रहना पडता है। लेकिन रोगी की जीवन शैली में बदलाव करने से इस रोग पर काफ़ी हद तक काबू पाया जा सकता है। कुछ निर्देश और हिदायतों का पालन करना मिर्गी रोगी और उसके परिवार जनों के लिये परम आवश्यक है। शांत और आराम दायक वातावरण में रहते हुए नियंत्रित भोजन विधान अपनाना बहुत जरूरी है। भोजन भर पेट लेने से बचना चाहिये। थोडा भोजन कई बार ले सकते हैं। रोगी को सप्ताह मे एक दिन सिर्फ़ फ़लों का आहार लेना उत्तम है। अपस्मार - मिर्गी रोग की चिकित्साअपस्मार मिर्गी के रोगी को सफर से बचना जरूरी है ।

 

अनिवार्या रूप मैं श्री तुलसी की 1-2 बूँद हर रोज पानी मैं डालकर रोगी को दोनो टाइम दे नीमिन लिखित कोई एक दवा का नियमित उपचार शुरू करे

  1- 100 ग्राम दूध में इतना ही पानी मिलाकर उबालें दूध में लहसुन की ४ कुली चाकू से बारीक काटक्रर डालें ।यह खीर रात को सोते वक्त खाना कुछ ही रोज में फ़ायदा नजर आने लगेगा।
2-- गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी में फ़ायदा पहुंचाने वाला है। 10 - 15 ग्राम नित्य खाएं।1- नींबू के रस में अरीठे को घिसकर उसका नस्य लेने से अथवा भांगरे के रस में समान मात्रा में बकरी का दूध मिलाकर उसकी बूँदें नाक में रोज डालने से मिर्गी के रोग में लाभ होता है।
पागलपनइस रोग के मरीज को सूत की खाट पर बाँधकर नीचे से कड़वे सहजने की पत्तियों का धुआँ 15 मिनट तक दें। मरीज को ऊपर से कम्बल ढाँक दें जिससे उसकी नाक, आँख एवं कान में धुआँ प्रवेश करेगा। इस प्रयोग से चार-पाँच दिन में ही मरीज ठीक हो सकता है।
3- अंगूर का रस मिर्गी रोगी के लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिये। यह उपचार करीब ६ माह करने से आश्चर्यकारी सुखद परिणाम मिलते हैं।  

4- मानसिक तनाव और शारिरिक अति श्रम रोगी के लिये नुकसान देह है। इनसे बचना जरूरी है।
5- मिर्गी रोगी को २५० ग्राम बकरी के दूध में ५० ग्राम मेंहदे के पत्तों का रस मिलाकर नित्य प्रात: दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं। जरूर आलमाएं। 

6- रोजाना तुलसी के २० पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।
7-पेठा मिर्गी की सर्वश्रेष्ठ घरेलू चिकित्सा में से एक है। इसमें पाये जाने वाले पौषक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी बनाई जाती है लेकिन इसका जूस नियमित पीने से ज्यादा लाभ मिलता है। स्वाद सुधारने के लिये रस में शकर और मुलहटी का पावडर भी मिलाया जा सकता है।
8-लहसुन की थोड़ी कलियों को दूध में भिगोकर प्रतिदिन सेवन करने से थोड़े ही दिनों में इस रोग से छुटकारा मिल जाता है।
9-बेहोशी के दौरे आने पर लहसुन को पीसकर रोगी को सुँघाने से तथा उसका रस रोगी की नाक में डालने से बेहोशी दूर होती है।

पीलिया रोग

इस देसी नुस्खे से पीलिया बहुत जल्दी ठीक हो जाता है 

Jaundice
पीलिया
पीलिया रोग

बरसात के दिनो में जो रोग सबसे अधिक होते है, उनमे से पीलिया प्रमुख है पीलिया ऐसा रोग है जो एक विशेष प्रकार के वायरस और किसी कारणवश शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ जाने से होता है इसमें रोगी को पीला पेशाब आता है उसके नाखून, त्वचा एवं आखों सा सफ़ेद भाग पीला पड़ जाता है बेहद कमजोरी कब्जियत, जी मिचलाना, सिरदर्द, भूख न लगना आदि परेशानिया भी रहने लगती है

उपचार-

पीलिया होने पर  चिरोटा की पत्तियों और बीजों का काढ़ा रोगी को देते है। लगभग 50 ग्राम पत्तियों को 2 कप

चिरोटा

पानी में उबालॆ, जब पानी एक कप शेष बचता है तो इसे छानकर रोगियों को दॆ . पीलिया जल्द ही ठीक हो जायॆगा .

सांसों की दुर्गंध के उपाय

मुंह की दुर्गंध के उपाय

मुंह की दुर्गंध के उपाय

  मुंह से बदबू आना

  ताज़ी और रेशेदार सब्जि़यों का सेवन करें ।
    लौंग को हल्का भुनकर चबायें।
    गर्म पानी में नमक‍ डालकर कुल्ला करें।
    त्रिफला की जड़ की छाल को मुंह में रखकर चबायें।
    जीरे को भुनकर खाने से भी सांसों की दुर्गंध दूर होती है।
    रोज़ना भोजन करने के बाद तुलसी के पत्ते या इलायची चबायें।

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tooth pastes.       पुदीने को पीसकर पानी में घोलें और दिन में 2 से 3 बार इस पानी से कुल्ला करें ।
    पानी खूब पीयें।
    दांतों की सफाई रखें और ब्रश करने के अलावा बीच-बीच में कुल्ला भी करें।
    प्रति‍दिन सुबह एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर इस पानी से कुल्ला करें।

सोरियासिस चर्म रोग की घरेलू चिकित्सा

सोरियासिस चर्म रोग की घरेलू  चिकित्सा

सोरियासिस एक प्रकार का चर्म रोग है जिसमें त्वचा में सेल्स की तादाद बढने लगती है।चमडी मोटी होने लगती है और उस पर खुरंड और पपडियां उत्पन्न हो जाती हैं।इस रोग के भयानक रुप में पूरा शरीर मोटी लाल रंग की पपडीदार चमडी से ढक जाता है।यह रोग अधिकतर केहुनी,घुटनों और खोपडी पर होता है।
सोरियासिस चर्म रोग

चिकित्सा विग्यानियों को अभी तक इस रोग की असली वजह का पता नहीं चला है। फ़िर भी अनुमान लगाया जाता है कि शरीर के इम्युन सिस्टम में व्यवधान आ जाने से यह रोग जन्म लेता है।इम्युन सिस्टम का मतलब शरीर की रोगों से लडने की प्रतिरक्छा प्रणाली से है। यह रोग आनुवांशिक भी होता है जो पीढी दर पीढी चलता रहता है।इस रोग का विस्तार सारी दुनिया में है। सर्दी के दिनों में इस रोग का उग्र रूप देखा जाता है। कुछ रोगी बताते हैं कि गर्मी के मौसम में और धूप से उनको राहत मिलती है। एलोपेथिक चिकित्सा मे यह रोग लाईलाज माना गया है। उनके मतानुसार यह रोग सारे जीवन भुगतना पडता है।लेकिन कुछ कुदरती चीजें हैं जो इस रोग को काबू में रखती हैं और रोगी को सुकून मिलता है।




१) बादाम १० नग का पावडर बनाले। इसे पानी में उबालें। यह दवा सोरियासिस रोग की जगह पर लगावें। रात भर लगी रहने के बाद सुबह मे पानी से धो डालें। यह नुस्खा अच्छे परिणाम प्रदर्शित करता है।
२) एक चम्मच चंदन का पावडर लें।इसे आधा लिटर में पानी मे उबालें। तीसरा हिस्सा रहने पर उतारलें। अब इसमें थोडा गुलाब जल और शकर मिला दें। यह दवा दिन में ३ बार पियें।बहुत कारगर उपाय है।
पत्ता गोभी
३) पत्ता गोभी सोरियासिस में अच्छा प्रभाव दिखाता है। उपर का पत्ता लें। इसे पानी से धोलें।हथेली से दबाकर सपाट कर लें।इसे थोडा सा गरम करके प्रभावित हिस्से पर रखकर उपर सूती कपडा लपेट दें। यह उपचार लम्बे समय तक दिन में दो बार करने से जबर्दस्त फ़ायदा होता है।
४) पत्ता गोभी का सूप सुबह शाम पीने से सोरियासिस में लाभ होते देखा गया है।प्रयोग करने योग्य है।
केले का पत्ता५) नींबू के रस में थोडा पानी मिलाकर रोग स्थल पर लगाने से सुकून मिलता है। 
६)शिकाकाई पानी मे उबालकर रोग के धब्बों पर लगाने से नियंत्रण होता है। 
७) केले का पत्ता प्रभावित जगह पर रखें। ऊपर कपडा लपेटें। फ़ायदा होगा।
८) कुछ चिकित्सक जडी-बूटी की दवा में steroids मिलाकर ईलाज करते हैं जिससे रोग शीघ्रता से ठीक होता प्रतीत होता है। लेकिन ईलाज बंद करने पर रोग पुन: भयानक रूप में प्रकट हो जाता है।

लकवा रोग का आसान इलाज

लकवा रोग का आसान इलाज 
लकवा, जिसे फालिज या पक्षाघात कहते हैं, 
ध्यान देने योग्य एक बात यह है  कि सिर्फ आलसी जीवन जीने से ही नहीं, बल्कि इसके विपरीत अति भागदौड़, क्षमता से ज्यादा परिश्रम या व्यायाम, अति आहार आदि कारणों से भी लकवा होने की स्थिति बनती है।
ज्यादातर प्रौढ़ आयु के बाद ही होता है, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि बहुत पहले से बनने लगती है।
युवावस्था में की गई गलतियाँ-भोग-विलास में अति करना, मादक द्रव्यों का सेवन करना, आलसी रहना आदि कारणों से शरीर का स्नायविक संस्थान धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, इस रोग के आक्रमण की आशंका भी बढ़ती जाती है।
 जब एक या एकाधिक मांसपेशी समूह की मांसपेशियाँ कार्य करने में पूर्णतः असमर्थ हों तो इस स्थिति को पक्षाघात या लकवा मारना कहते हैं। पक्षाघात से प्रभावी क्षेत्र की संवेदन-शक्ति समाप्त हो सकती है या उस भाग को चलना-फिरना या घुमाना असम्भव हो जाता है। यदि दुर्बलता आंशिक है तो उसे आंशिक पक्षाघात कहते हैं।
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कारण

पक्षाघात तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जिस तरह किसी व्यक्ति के हृदय में जब रक्त आपूर्ति का आभाव होता तो कहा जाता है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया है उसी तरह जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को मस्तिष्क का दौरा पड़ गया है।
शरीर की सभी मांस पेशियों का नियंत्रण केंद्रीय तंत्रिकाकेंद्र (मस्तिष्क और मेरुरज्जु) की प्रेरक तंत्रिकाओं से, जो पेशियों तक जाकर उनमें प्रविष्ट होती हैं,से होता है। अत: स्पष्ट है कि मस्तिष्क से पेशी तक के नियंत्रणकारी अक्ष के किसी भाग में, या पेशी में हो, रोग हो जाने से पक्षाघात हो सकता है। सामान्य रूप में चोट, अबुद की दाब और नियंत्रणकारी अक्ष के किसी भाग के अपकर्ष आदि, किसी भी कारण से उत्पन्न प्रदाह का परिणाम आंशिक या पूर्ण पक्षाघात होता है।

लकवा-पक्षाघात-फालिज के प्रका
अर्दित - सिर्फ चेहरे पर लकवे का असर होने को अर्दित (फेशियल पेरेलिसिस) कहते हैं। अर्थात सिर, नाक, होठ, ढोड़ी, माथा तथा नेत्र सन्धियों में कुपित वायु स्थिर होकर मुख को पीड़ित कर अर्दित रोग पैदा करती है।
एकांगघात - इसे एकांगवात भी कहते हैं। इस रोग में मस्तिष्क के बाह्यभाग में विकृति होने से एक हाथ या एक पैर कड़ा हो जाता है और उसमें लकवा हो जाता है। यह विकृति सुषुम्ना नाड़ी में भी हो सकती है। इस रोग को एकांगघात (मोनोप्लेजिया) कहते हैं।
सर्वांगघात - इसे सर्वांगवात रोग भी कहते हैं। इस रोग में लकवे का असर शरीर के दोनों भागों पर यानी दोनों हाथ व पैरों, चेहरे और पूरे शरीर पर होता है, इसलिए इसे सर्वांगघात (डायप्लेजिया) कहते हैं।
अधरांगघात - इस रोग में कमर से नीचे का भाग यानी दोनों पैर लकवाग्रस्त हो जाते हैं। यह रोग सुषुम्ना नाड़ी में विकृति आ जाने से होता है। यदि यह विकृति सुषुम्ना के ग्रीवा खंड में होती है, तो दोनों हाथों को भी लकवा हो सकता है। जब लकवा 'अपर मोटर न्यूरॉन' प्रकार का होता है, तब शरीर के दोनों भाग में लकवा होता है।
बाल पक्षाघात - बच्चे को होने वाला पक्षाघात एक तीव्र संक्रामक रोग है। जब एक प्रकार का विशेष कृमि सुषुम्ना नाड़ी में प्रविष्ट होकर वहाँ खाने लगता है, तब सूक्ष्म नाड़ियाँ और माँसपेशियां आघात पाती हैं, जिसके कारण उनके अधीनस्थ शाखा क्रियाहीन हो जाती है। इस रोग का आक्रमण अचानक होता है और प्रायः 6-7 माह की आयु से ले कर 3-4 वर्ष की आयु के बीच बच्चों को होता है।
अगर लकवा अगर रोगी ह्रीष्ट-पुष्ट है तो उसे 5-6 दिन का उपवास कराना चाहिये। कमजोमिलेगी।रोगी को सीलन रहित और तेज धूप रहित कमरे मे आरामदायक बिस्तर पर लिटाना चाहिये।
लकवा रोग
र शरीर वाले के लिये 2-3 दिन के उपवास करना उत्तम है। उपवास की अवधि में रोगी को सिर्फ़ पानी में शहद मिलाकर देना चाहिये। एक गिलास जल में एक चम्मच शहद मिलाकर देना चाहिये। इस प्रक्रिया से रोगी के शरीर से विजातीय पदार्थों का निष्काशन होगा, और शरीर के अन्गों पर भोजन का भार नहीं पडने से नर्वस सिस्टम(नाडी मंडल) की ताकत पुन: लौटने में मदद

उपचार 

 उपवास के बाद रोगी को कबूतर का सूप देना चाहिये। कबूतर न मिले तो चिकन का सूप दे सकते हैं। शाकाहारी रोगी मूंग की दाल का पानी पियें। रोगी को कब्ज हो तो एनीमा दें।

     १० ग्राम सूखी अदरक और १० ग्राम बच पीसलें इसे ६० ग्राम शहद मिलावें। यह मिश्रण रोगी को ६ ग्राम रोज देते रहें।
      लहसुन की  ४  कली पीसकर दो चम्मच शहद में मिलाकर रोगी को चटा दें।
  लकवा रोगी का ब्लड प्रेशर नियमित जांचते रहें। अगर रोगी के खून में कोलेस्ट्रोल का लेविल ज्यादा हो तो ईलाज करना वाहिये।
  रोगी तमाम नशीली चीजों से परहेज करे। भोजन में तेल,घी,मांस,मछली का उपयोग न करे।




     बरसात में निकलने वाला लाल रंग  का कीडा वीरबहूटी लकवा रोग में बेहद फ़ायदेमंद है। बीरबहूटी एकत्र करलें। छाया में सूखा लें। सरसों के तेल पकावें।इस तेल से लकवा रोगी की मालिश करें। कुछ ही हफ़्तों में रोगी ठीक हो जायेगा। इस तेल को तैयार करने मे निरगुन्डी की जड भी कूटकर डाल दी जावे तो दवा और शक्तिशाली बनेगी।

     एक बीरबहूटी केले में मिलाकर रोजाना देने से भी लकवा में अत्यन्त लाभ होता है।

        सफ़ेद कनेर की जड की छाल और काला धतूरा के पत्ते बराबर वजन में लेकर सरसों के तेल में पकावें। यह तेल लकवाग्रस्त अंगों पर मालिश करें। अवश्य लाभ होगा।
        लहसुन की ५ कली दूध में उबालकर लकवा रोगी को नित्य देते रहें। इससे ब्लडप्रेशर ठीक रहेगा और खून में थक्का भी नहीं जमेगा।

जीवन में धन, सुख और समृद्धि बढ़ाने के लिए धन के रक्षक धनकुबेर का पूजन

जीवन में धन, सुख और समृद्धि बढ़ाने के लिए धन के रक्षक  धनकुबेर का पूजन
धनकुबेर का पूजन

क्या आप जानते हैं देवताओं के धन की रक्षा करने वाले कुबेर देव राक्षसराज लंकाधिपति रावण के सोतेले भाई हैं। कुबेर देव ने अनजाने में ही एक चमत्कारी उपाय किया और वे बन गए धनकुबेर। कुबेर देव की विधि-विधान से की गई पूजा किसी भी दरिद्र को धनवान बना सकती है।
शास्त्रों के अनुसार कुबेर देव पूर्व जन्म में चोर थे। वे मंदिरों की धन-संपदा भी चोरी किया करते थे। ऐसे ही एक रात वे भगवान शिव के मंदिर में चोरी करने पहुंचे। वहां उस समय रात होने के कारण काफी अंधेरा था। अंधेरे में उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहता था तब उन्होंने चोरी करने के लिए एक दीपक जलाया। दीपक के प्रकाश में उन्हें मंदिर की धन संपत्ति साफ-साफ दिखाई देने लगी।
कुबेर मंदिर का सामान चोरी कर ही रहे थे कि हवा से दीपक बुझ गया। उन्होंने पुन: दीपक जलाया, थोड़ी देर फिर हवा से दीप बुझ गया और कुबेर ने पुन: दीया प्रज्जवलित कर दिया। यह प्रक्रिया कई बार हुई।रात के समय शिवजी के समक्ष दीपक लगाने पर उनकी असीम कृपा प्राप्त हो जाती है। कुबेर यह बात नहीं जानते थे लेकिन रात के समय बार-बार दीपक जलाने से भोलेनाथ कुबेर से अति प्रसन्न हो गए।
कुबेर देव द्वारा अनजाने में की गई इस पूजा के फलस्वरूप महादेव ने उन्हें अगले जन्म में देवताओं का कोषाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। तभी से कुबेर देव महादेव के परमभक्त और धनपति हो गए।आमतौर पर कुबेर देव की जो प्रतिमाएं दिखाई देती हैं वह स्थूल शरीर वाली और बेडोल होती हैं कुछ शास्त्रों में कुबेर देव को कुरूप बताया गया है जबकि कुछ ग्रंथों में कुबेर देव का राक्षस माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार कुबेर देव रावण के सोतेले भाई हैं और इन्हें भगवान शंकर द्वारा धनपाल होने का वरदान दिया गया है। रावण और कुबेर देव के पिता ऋषि विश्रवा थे। विश्रवा ऋषि की दो पत्नियां थीं इडविडा और कैकसी। कुबेर देव की माता इडविडा है और वे ब्राह्मण कुल की कन्या थीं। रावण की माता कैकसी हैं। कैकसी एक असुर कन्या थीं, इसी वजह से रावण असुर प्रवृत्ति का था।
कुबेर भगवान शिव के परमप्रिय सेवक भी हैं। धन के अधिपति होने के कारण इन्हें मंत्र साधना से प्रसन्न किया जा सकता है। इनकी प्रसन्नता जिस भक्त को मिल जाती है वह धनवान हो जाता है। कुबेर मंत्र का जप दक्षिण की ओर मुख करके करना चाहिए।
कुबेर मंत्र: ऊँ श्रीं, ऊँ ह्रीं श्रीं, ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।
विनियोग- अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्वामित्र ऋषि:बृहती छन्द: शिवमित्र धनेश्वरो देवता समाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोग:।
हवन- तिलों का दशांस हवन करने से प्रयोग सांग होता है। यह प्रयोग शिव मंदिर में करना उत्तम रहता है। यदि यह प्रयोग बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठकर हो सके तो अधिक उत्तम होगा। यह उपाय सूर्योदय के पूर्व सम्पन्न हो सके तो बहुत लाभकारी होता है।
कुबेर देव को कुछ ग्रंथों में यक्ष भी बताया गया है। यक्ष भी धन के रक्षक ही होते हैं। यक्ष धन की केवल रक्षा करते हैं उसे भोगते नहीं हैं। प्राचीन काल में जो मंदिर बनाए जाते थे उनमें मंदिर के बाहर कुबेर की मूर्तियां भी होती थी क्योंकि कुबेर देव की मंदिर की धन-संपत्ति की रक्षा करते हैं।
कुबेर देव का धन किसी खजाने के रूप में कहीं गड़ा हुआ या स्थिर पड़ा रहता है। कुबेर का निवास वटवृक्ष पर बताया गया है। ऐसे वृक्ष घर-आंगन में नहीं होते, गांव या नगर के केन्द्र में भी नहीं होते हैं, ऐसे पेड़ अधिकतर गांव-नगर के बाहर रहवासी इलाकों से दूर या बियाबान में ही होते हैं। कुबेर देव के धन को जनकल्याणकारी नहीं माना गया है जबकि महालक्ष्मी के धन को दूसरों का कल्याण करने वाला बताया है। इसी वजह से कुबेर देव की अपेक्षा महालक्ष्मी की पूजा अधिक होती है।
शास्त्रों के अनुसार धन प्राप्ति के लिए देवी महालक्ष्मी की आराधना की जाना चाहिए। महादेवी के साथ ही धन के देवता कुबेर देव को पूजने से भी पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसी वजह से किसी भी देवी-देवता के पूजन के साथ ही इनका भी पूजन करना बहुत लाभदायक होता है।
जीवन में धन, सुख और समृद्धि बढ़ाने के लिए धर्म शास्त्रों के अनुसार कई उपाय बताए गए हैं। जिन्हें अपनाने से निश्चित ही शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं। इन्हीं उपायों में से एक उपाय यह है कि घर में कुबेर देव की मूर्ति या फोटो अवश्य रखना चाहिए क्योंकि इन्हें सुख-समृद्धि देने वाले देवता माना जाता है।
कुबेर देव की मूर्ति या फोटो घर में लगाने से इनकी कृपा सदैव सभी सदस्यों पर बनी रहती है और धन से जुड़े कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। कुबेर देव का निवास उत्तर दिशा की ओर माना गया है। अत: इनका फोटो भी घर में उत्तर दिशा की ओर ही लगाना श्रेष्ठ रहता है। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि जहां इनका चित्र लगाया जाए वह स्थान पवित्र हो। वहां किसी प्रकार का पुराना सामान या कबाड़ा न हो। उस जगह की साफ-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

उच्च रक्त शर्करा, High Blood Sugar

उच्च रक्त शर्करा, High Blood Sugar
उच्च रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के उपाय
एक सूखी मिक्सर / चक्की में पालन पीस
1 मेथी के बीज (मेथी के बीज) = 100gms
2 दालचीनी लाठी (daalcheeni) = 100gms
3 बे पत्तियों (तीज पत्ता) = 5 से 6 पत्ते
उच्च रक्त शर्करा, High Blood Sugar

4 लौंग (Lauang) = 7 से 8 पीसी
5 जीरा बीज (जीरा) = 2 TBL चम्मच
6 बिग Cardamum (मोती elachi) 4 से 6 पीसी
7 काला नमक (काला नमक) = 50 ग्राम
8 काली मिर्च (mirach काली) = 50 ग्राम
9 हल्दी (हल्दी पाउडर) = 20 ग्राम

एक हवा टाइट कंटेनर में पाउडर मिश्रण डाल दिया. एक गिलास पानी में पाउडर का एक चम्मच मिश्रण और नींबू का रस जोड़ सकते हैं और यह सुबह में खाली पेट 1 बात पीते हैं. रात के खाने के yogut (दही) के साथ 1 टी चम्मच मिश्रण के बाद आप भी इसे ले सकते हैं.
इसके अलावा कच्चे लहसुन 2-3
टुकड़े खाते हैं.
रात के खाने के साथ हर दिन 1 कच्चे प्याज का सेवन करें.
आदर्श प्याज / लहसुन / ककड़ी / टमाटर / नींबू के रस का एक सलाद बनाने के लिए किया जाएगा

चावल के insted खाओ रोटी (चपाती)
30 दिनों के बाद उपाय है, तो 30 दिनों के लिए इस उपचार की कोशिश यह शुरू करने से पहले अपने रक्त शर्करा को मापने और .... फर्क महसूस होता है.

गोरा रंग के लिए घरेलू उपचार

गोरा रंग के लिए घरेलू उपचार
गोरा रंग के लिए घरेलू उपचार


एक गोरा रंग, लेकिन घरेलू उपचार प्राप्त करने के लिए उपलब्ध कई सौंदर्य प्रसाधन निष्पक्ष और चमक त्वचा पाने के लिए प्रभावी और सिद्ध कर रहे हैं.घरेलू उपचार प्राकृतिक और किसी भी पक्ष प्रभाव के बिना कर रहे हैं. त्वचा निष्पक्ष बनाने और रंग में सुधार लाने के लिए घरेलू उपचार से कुछ हैं:> ककड़ी का रस, नींबू का रस और कुछ गुलाब जल से मिलकर फेस पैक बहुत प्रभावी है. शहद और नींबू के रस के साथ एक चेहरा मुखौटा कोशिश करें. कम से कम ध्यान देने योग्य परिणाम प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह के लिए इन फेस पैक या चेहरे मास्क का प्रयोग करें.> आपकी त्वचा टोन दैनिक आपके चेहरे पर नींबू का एक आधा हाथ धोने को हल्का करने के लिए. नींबू एक उत्कृष्ट विरंजन एजेंट है, और यह चेहरे की blemishes के बाहर सफाई में बहुत मददगार है.> त्वचा तन से छुटकारा पाने के लिए, नियमित रूप से त्वचा पर नीबू का रस, बेसन और दही का एक मिश्रण लागू होते हैं. यह त्वचा तन से छुटकारा प्राप्त करने में मदद मिलेगी.> जई के एक बिट के साथ मक्खन दूध मिलाएं. त्वचा पर लागू करें. जई क्षमता exfoliating गया है और मक्खन दूध त्वचा चिकनी के बाद एक शानदार है.गोरा रंग फेस पैकविरंजन के लिए इस मिश्रण का प्रयोग करें -चेहरे हल्दी पाउडर, 1 चम्मचहनी - आधा चम्मचजैतून का तेल की कुछ बूँदेंदही - आधा चम्मचटेबल नमक - एक चौथाई चम्मच.एक पेस्ट बनाने के लिए और अपने चेहरे पर लागू करने के लिए इन वस्तुओं मिलाएं. 15 मिनट के लिए छोड़ दें. एक सूती कपड़े से यह साफ. आप एक स्नान ले, सादे पानी से अपना चेहरा धोने और साबुन से बचने. एक बार एक हफ्ते में या दो बार एक महीने में, इस का प्रयोग करें.> नीबू का रस लागू करें और कोहनी और घुटने पर त्वचा को हल्का करने के 15 मिनट के लिए छोड़ दें.> नारियल पानी rids के एक तन का चेहरा और के लगातार उपयोग भी त्वचा नरम और कोमल बनाता है.> अपने रंग तुलसी की पत्तियां और त्वचा पर नारंगी छील के रस का रस लागू होते हैं, और कुछ समय के लिए इसे छोड़ सुधार करना.> पपीता का गूदा त्वचा पर whiteheads हटाने, त्वचा पर लागू होते हैं.> आलू का रस निचोड़ और ब्लीच अपने चेहरे के लिए अपनी त्वचा पर लागू होते हैं. आपकी त्वचा का धीरे - धीरे यह उपयोग करने के बाद उचित मिल जाएगा.> आपकी त्वचा के लिए एक गुलाबी चमक देने के लिए अपनी त्वचा पर मैश किए हुए टमाटर के गूदे का प्रयोग करें. टमाटर तुम गोरी त्वचा टोन देने के लिए बहुत अच्छा है. टमाटर भी चेहरे के खुले pores के इलाज के लिए अपने चेहरे का अतिरिक्त तेल को अवशोषित.> बराबर मात्रा में नींबू का रस और शहद मिलाएं और निष्पक्ष त्वचा पाने के लिए त्वचा पर लागू होते हैं.> तेल त्वचा निष्पक्ष बनाने के लिए, आपकी त्वचा पर ककड़ी का रस और नींबू का रस लागू होते हैं. इस घर उपाय बहुत कारगर है.> सादा आपकी त्वचा पर दही लागू करें. दही जस्ता और लैक्टिक एसिड, त्वचा टोन बिजली में दोनों सहायता का एक अच्छा स्रोत है.>, चेचक के निशान हल्का आपकी त्वचा पर नारियल पानी लागू करने के लिए. यह भी त्वचा निष्पक्ष और चिकनी बनाता है.> निष्पक्ष और मुलायम त्वचा पाने के लिए बादाम के तेल या जैतून का तेल के साथ आपकी त्वचा की मालिश. बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए केसर की एक चुटकी जोड़ें.> दूध पाउडर का 1 चम्मच, नीबू का रस 1 चम्मच और बादाम के तेल का 1 चम्मच मिश्रण. आपकी त्वचा पर इस मिश्रण को लागू करें. बंद धोने से पहले 15 मिनट के लिए छोड़ दें. यह एक प्रभावी चमकती त्वचा मुखौटा है.> अंडे का सफेद न्यायपूर्ण त्वचा पाने के लिए उपयोगी है. न्यायपूर्ण त्वचा पाने के लिए सप्ताह में दो बार अपने चेहरे पर लागू होते हैं.> मिक्स पपीता, शहद, और दूध. तुरन्त न्यायपूर्ण चेहरा पाने के लिए यह आपकी त्वचा को लागू करें. यह उपाय भी तेल त्वचा के लिए बहुत अच्छा है.> गोरी त्वचा पाने के लिए अपने चेहरे पर बादाम के तेल से सने चंदन लगाएँ. इस घर में गोरी त्वचा प्राप्त करने के लिए चेहरे का एक अच्छा घर है.>, न्यायपूर्ण त्वचा टोन मिल रातोंरात कच्चे दूध में कुछ बादाम लेना, और आपकी त्वचा पर लागू करने के लिए इसे पीसने के लिए.> कच्चे दूध और केसर का एक मिश्रण के साथ अपने चेहरे को साफ करें. न्यायपूर्ण और स्पष्ट त्वचा पाने के लिए दैनिक कपास पैड के साथ प्रयोग करें.
> 2 टेबल स्पून बेसन, नींबू का रस के 6 बूँदें, कच्चे दूध का 1 चम्मच और निष्पक्ष त्वचा पाने के लिए फेस पैक बनाने के लिए जैतून का तेल की कुछ बूँदें ले लो.> पानी में जीरा उबाल लें. निष्पक्ष और चमक त्वचा प्रकट करने के लिए इस पानी से अपना चेहरा कुल्ला.> सूखे संतरे छील पीस कर दूध के साथ मिश्रण या गोरी त्वचा टोन पाने के लिए दही.> पानी में मूली उबाल लें और घर पर गोरी त्वचा पाने के लिए चेहरे पर इस पानी लागू होते हैं.> कच्चे दूध में 4 बादाम के साथ काले चने भिगो दें और यह सुबह में पीस लें. कुछ ही दिन में आपकी त्वचा को हल्का करने के लिए उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने के लिए अपनी त्वचा पर इस पैक लागू करें. बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए दैनिक इस मिश्रण का प्रयोग करें.> नींबू का रस आधा चम्मच के साथ टकसाल का रस की 2 चम्मच मिश्रण. न्यायपूर्ण त्वचा पाने के लिए अपनी त्वचा पर लागू करें> दही के साथ मिक्स कसा ककड़ी का गूदा अपनी त्वचा पर लागू करने के लिए. आपकी त्वचा कुछ दिनों में न्यायपूर्ण होगा.
> तेल त्वचा lightener अपने चेहरे पर गुलाब जल के साथ मिश्रित फुलर पृथ्वी को लागू करने के लिए. 15 मिनट के लिए छोड़ दें.> रात भर के लिए दूध में सूरजमुखी के बीज लेना. न्यायपूर्ण त्वचा पाने के लिए केसर की कुछ किस्में साथ यह पीस. यह बहुत अंधेरे चमड़ी लोगों के लिए सबसे अच्छा उपाय है.इस उपाय के दैनिक उपयोग भी सांवली रंग हल्का करता है. यह आप पर एक काले रंग की है अगर अपने रंग में सुधार करने के लिए समय लग सकता है. लेकिन यह निश्चित रूप से काम करेगाएक फेयरनेस फेस पैक करें:1 अंडे की जर्दी मिश्रणदही 1 चम्मचफुलर के पृथ्वी का 1 चम्मचशहद का 1 चम्मचआपकी त्वचा को निष्पक्ष बनाने के लिए अपने चेहरे और गर्दन पर लागू करें. यह भी त्वचा को कस लें.> अपना चेहरा धोने के लिए एक नींबू के रस के साथ चीनी के 2 चम्मच मिश्रण. चीनी कणिकाओं पिघल जब तक अपने चेहरे रगडें. न्यायपूर्ण और नरम त्वचा पाने के लिए अपने चेहरे, गर्दन, कोहनी, पैर पर यह प्रयोग करें.> आप अपने चेहरे पर मुँहासे है मुँहासे स्क्रबिंग की प्रक्रिया में फट जाएगा के रूप में, donot, इसका इस्तेमाल. यह न्यायपूर्ण और चिकनी त्वचा प्राप्त करने में बहुत उपयोगी घर उपाय है.न्यायपूर्ण त्वचा पाने के लिए दूसरे दिन पर अपना चेहरा छूटना> मिक्स हल्दी, क्रीम और बेसन. यह तुम्हारे चेहरे के लिए पीले रंग दे देंगे, हल्दी का उपयोग करते समय सावधान रहें.> क्रीम के साथ केसर की एक फेस पैक करें और न्यायपूर्ण त्वचा पाने के लिए 1 सप्ताह के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.> मलाई और बेसन का एक मिश्रण सूखी त्वचा के लिए सबसे अच्छा है. यह भी आप गोरी त्वचा को प्राप्त करने में मदद मिलेगी.> आपके चेहरे पर चमक और चमक पाने के लिए, रात भर पानी में 5 बादाम लेना. त्वचा को छीलकर और शहद का 1 चम्मच के साथ मिश्रण. इसके साथ अपने चेहरे और गर्दन रगड़ कर साफ करें. तुम भी इसके साथ अपने पूरे शरीर साफ़ कर सकते हैं. यह त्वचा कोशिकाओं moisturizes. भी मृत कोशिकाओं से छुटकारा हो जाता है.जहाँ तक संभव हो धूप से अपनी त्वचा को सुरक्षित रखें

कैंसर के इलाज के लिए

कैंसर के इलाज के लिए Graviola
 cancer foghter

graviola या guanábana,Soursop, भी कहा जाता है ,एक पेड़ है मध्य अमेरिका, अमेज़न क्षेत्र और मुख्य रूप से पोलिनेशिया में बढ़ता है. .  
इसके फल सभी प्रकार के कैंसर स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और फेफड़ों के कैंसर के खिलाफ बहुत कुशलता से काम करता है. .

 
यह घातक कोशिकाओं को ही निशाना बनाता है. इस प्रकार यह कैंसर के सब प्रकार के उपचार में बहुत प्रभावी है पाया गया है कि जैसे दुष्प्रभाव, बालों के झड़ने, वजन घटाने, मितली आदि से बचाता है.

कई सक्रिय यौगिकों और रसायनों इसकी पत्ती, तना, छाल, और फल के बीज में, Soursop में विशेष Annonaceous Acetogenins पाया गया है. Soursop में रसायनों और acetogenins  कैंसर विरोधी tumorous, और विरोधी वायरल गुण प्रदर्शित करता है. Soursop में पाया ये acetogenins केवल कैंसर ट्यूमर कोशिकाओं के लिए अत्यधिक प्रभावी:
है फेफड़े, स्तन, प्रोस्टेट, अग्नाशय, पेट, जिगर, लिंफोमा, बहु - दवा प्रतिरोधी मानव स्तन, डिम्बग्रंथि, गर्भाशय ग्रीवा, मूत्राशय और त्वचा कैंसर और अन्य.
हर्बल गुण
मुख्य क्रिया अन्य क्रियाएँ मानक खुराक कैंसर की कोशिकाओं को मारता है अवसाद से राहत मिलती है
पत्ते,
ट्यूमर के विकास को धीमा कर देती है ऐंठन कम कर देता है
आसव: 3 बार दैनिक 1 कप
बैक्टीरिया को मारता है,वायरस को मारता है
मिलावट: 2-4 मिलीग्राम 3 बार दैनिक
परजीवी मारता ,बुखार कम कर देता है,हृदय की दर को कम करती है,पाचन उत्तेजित करता
है ,रक्त वाहिकाओं फैल जाती है,आक्षेप बंद हो जाता है

हकलाना /वाणी दोष का इलाज

हकलाना /वाणी दोष का इलाज

तुतलाना तुतलाना , हकलाना

   *जब कोई हकलाकर कर बोलता है तो लोग अक्सर हंस देते हैं जो हकलाने वाले के लिये अपमान जनक होता है।उसे  प्रेम तथा स्नेह से समझाना चाहिये।हकलाकर बोलने वाले बालक को अपने इस दोष से निजात पाने के लिये बराबर अभ्यास कराना चाहिये न कि कुंठित होकर बैठ जानें दें।
  * बच्चों में तुतलाना और हकलाना प्राय देखा जाता है। यह वास्तव में कोई रोग नहीं होता वरन कुछ पौष्टिक तत्वों की शरीर में कमी के कारण ही होता है। तुतलाने और हकलाने की दशा में निम्न जड़ी-बूटियों का प्रयोग दिये गये तरीके से करने में लाभ अवश्य होता है।

 इलाज 

   * बच्चे को एक ताजा हरा आँवला रोज चबाने के लिये दें। बच्चे से कहें कि पूरा आँवला वह चबा कर खा ले। इससे बच्चे की जीभ पतली हो जायेगी और उसके मुख की गर्मी भी समाप्त हो जायेगी। बच्चे का तुतलाना और हकलाना बन्द हो जायेगा।  
   * बादाम गिरी 7 और काली मिर्च 7 लेकर कुछ बूंद पानी में घिस कर चटनी बना लें और उसमें थोड़ी-सी मिश्री मिला लें तथा बच्चे को चटा दें। नियमित रूप से लगभग एक या दो माह तक ऐसा करें। हकलाना और तुतलाना समाप्त हो जायेगा। 
   * प्रातकाल मक्खन में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर चाटने से कुछ ही दिनों में हकलाहट दूर हो जाती है।
    * तेजपात को जीभ के नीचे रखने से हकलाना और तुतलाना ठीक हो जाता है।
    * हरा धनिया व अमलतास के गूदे को एक साथ पीस कर रख लें। पानी मिलाकर 21 दिनों तक कुल्ली करने से हकलाहट समाप्त हो जाती है।


   * धीरे धीरे बोलने का अभ्यास कराऐं स्वर उच्चारण पर ध्यान दें कारण स्वर ही शब्द तथा वाणी का आधार है|   
   *हकलाने के बावजूद भी खूब बोलने तथा पढने का अभ्यास करायें।
   *बच्चे या व्यक्ति को अनावश्यक सोच विचार में न फंसने दें

रजोनिवृत्ति का इलाज

रजोनिवृत्ति का इलाज
रजोनिवृत्ति

रजोनिवृत्ति क्या हैरजोनिवृत्ति बस मासिक धर्म का अंत है. यह भी पेरी रजोनिवृत्ति और रजोनिवृत्ति के रूप में जाना एक महिला के अंतिम मासिक धर्म चक्र के पहले और बाद की अवधि के रूप में जाना जाता है. एक महिला की उम्र 50 साल तक पहुँचता है जब रजोनिवृत्ति आमतौर पर तब होता है. यह भी कहा कि वह 40 है जब के रूप में जल्दी और वह 60 है जब जितनी देर भी हो सकती है. रजोनिवृत्ति तब होता है, जिस पर उम्र के अन्य कारकों के बीच वंशानुगत मुद्दों पर निर्भर करता है. यह महिलाओं को आमतौर पर उनकी मां के रूप में एक ही उम्र के आसपास में रजोनिवृत्ति तक पहुँचने कि पाया गया है.ये आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को मजबूत बनाने का इलाज और महिला प्रजनन प्रणाली को फिर से जीवंत, हार्मोन को विनियमित, और शांत भावनाओं सकते हैं. ये शामिलमुसब्बर वेरा जेल,shatavari (शतावरी),केसर,kapikachhu (Mucuna pruriens),और अश्वगंधा (Withania somnifera).20-20 ग्राम में सब से ऊपर जड़ी बूटियों पाने के लिए और इसे पीसनेइन जड़ी बूटियों के रजोनिवृत्ति के लक्षणों को राहत देने के लिए मीठा दूध decoctions में दो बार इन मिश्रण 2-2 ग्राम लिया जा सकता है. यह हार्मोनल असंतुलन को दूर करने में मदद कर सकते हैं कि phytoestrogens है क्योंकि नद्यपान, रजोनिवृत्ति के दौरान सेवन किया जाना चाहिए. इसके अलावा दैनिक चुकंदर का रस लेने रजोनिवृत्ति के लिए helpful.herbs इलाज नहीं हैरजोनिवृत्ति क्या हैरजोनिवृत्ति बस मासिक धर्म का अंत है. यह भी पेरी रजोनिवृत्ति और रजोनिवृत्ति के रूप में जाना एक महिला के अंतिम मासिक धर्म चक्र के पहले और बाद की अवधि के रूप में जाना जाता है. एक महिला की उम्र 50 साल तक पहुँचता है जब रजोनिवृत्ति आमतौर पर तब होता है. यह भी कहा कि वह 40 है जब के रूप में जल्दी और वह 60 है जब जितनी देर भी हो सकती है. रजोनिवृत्ति तब होता है, जिस पर उम्र के अन्य कारकों के बीच वंशानुगत मुद्दों पर निर्भर करता है. यह महिलाओं को आमतौर पर उनकी मां के रूप में एक ही उम्र के आसपास में रजोनिवृत्ति तक पहुँचने कि पाया गया है.ये आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को मजबूत बनाने का इलाज और महिला प्रजनन प्रणाली को फिर से जीवंत, हार्मोन को विनियमित, और शांत भावनाओं सकते हैं. ये शामिलमुसब्बर वेरा जेल,shatavari (शतावरी),केसर,kapikachhu (Mucuna pruriens),और अश्वगंधा (Withania somnifera).20-20 ग्राम में सब से ऊपर जड़ी बूटियों पाने के लिए और इसे पीसनेइन जड़ी बूटियों के रजोनिवृत्ति के लक्षणों को राहत देने के लिए मीठा दूध decoctions में दो बार इन मिश्रण 2-2 ग्राम लिया जा सकता है. यह हार्मोनल असंतुलन को दूर करने में मदद कर सकते हैं कि phytoestrogens है क्योंकि नद्यपान, रजोनिवृत्ति के दौरान सेवन किया जाना चाहिए. इसके अलावा दैनिक चुकंदर का रस लेने के लिए सहायक है.

अब आखों की रोशनी भी तेज होगी

अब आखों की रोशनी भी तेज होगी
अब आखों की रोशनी भी तेज होगी

आजकल काम या पढ़ाई के कारण जरूरत से ज्यादा आंखों पर बोझ पड़ रहा है। कमजोर दृष्टि समय में एक आम समस्या है. यहां तक ​​कि निविदा उम्र के बच्चों को भी कमजोर आंखों की वजह से चश्मे के साथ देखा जाएगा. गर्मी का कारण है और मस्तिष्क की कमजोरी कमजोर दृष्टि का एक प्रमुख कारण है.
 पौष्टिक खाने की कमी के कारण भी अधिकाशंत लोगो की आखे कमजोर होती जा रही हैं । अक्सर देखने में आता है कि छोटे-छोटे बच्चों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है।अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है। नीचे बताए नुस्खों को करीब चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं निश्चित ही आपकी आखें पर लगा चश्मा उतर जाएगा साथ थी आखों की रोशनी भी तेज होगी।



1. बादाम की गिरी, सौंफ बड़ी वाली और कूजा मिश्री(कूजा मिश्री न मिले तो साधारण मिश्री भी ले सकते हैं)तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें ।


लाभ- इस विधि को अपनाने से दिमाग की गर्मी शांत होती है, याददाश्त तेज होती है साथ ही बातों को भूल जाने की बिमारी भी खत्म हो जाती है।


2. पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आखों की रोशनी तेज होती है।

3. सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आखों में छींटे मारने से आखें की रोशनी बढ़ती है।

4. त्रिफला के पानी से आखें धोने से आखों की रोशनी तेज होती है।

सिगरेट छोड़ने के उपाय

सिगरेट छोड़ने के उपाय

सिगरेट छोड़ने के उपाय

  1. जब सिगरेट कि तलब लगे, इलिप पोपलर के तने कि छाल चबाएं|

  2. मेडिकल स्टोर से 'बेनट्रोंन' टेबलेट्स खरीद कर भोजन के बाद इसका सेवन करें! इसके प्रभाव से आपके स्नायु निकोटिन कि उस कमी को महसूस नहीं कर पाएंगे, जो सिगरेट के अभाव में उन्हें करना चाहिए|

  3. इस गोली का स्वाद निकोटिन जैसा होता है और वह वैसा ही असर करती है, लेकिन इसमें निकोटिन नहीं होता! फेफड़ों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता| इसका निर्माण लोब्लाइन के नीले फूलों और पत्तों से होता है| इस दवाई को आप जब चाहे छोड़ सकते हैं और इसकी आदत भी नहीं पड़ती है|

  4. सिल्वर नाइट्रेट के 10 .25 प्रतिशत घोल से गरारे करने से मुंह का स्वाद बदल कर सिगरेट कि लत छुट जाती है| गरारे दिन भर में 2 से 4 बार करें|

  5. आजकर बाजार में आयुर्वेर्दिक मेडिकल स्टोर पर 'निर्दोष ' हर्बल सिगरेट जड़ी बूटियों के पाउडर से बनी हुई मिलती है, जो सिगरेट कि तलब लगने पर पी जा सकती है! इसके पीने से स्वास्थ्य को कोई नुक्सान नहीं होता और पीने वाले को ताजगी, स्फूर्ति का अहसास होता है।

  6. यदि सिगरेट छोड़ने के लिए किसी विकल्प का सहारा ना लेना चाहें तो प्रतिदिन पीने कि संख्या को सिमित या कम करते जाएं।

  7. सिगरेट पीने कि तलब लगे, तो च्युइंगम मुंह में डाल कर घंटों चबाते रहें। तथा अपने आपको कार्यों में व्यस्त रखें, क्योंकि फुरसत में ही आदमी को सिगरेट पीने कि लालसा होती है! 

  8. ऊपर बताये गए उपायों से आपको सिगरेट छोड़ने में बहुत मदद मिलेगी।

लकवा का आयुर्वेदिक उपचार

लकवा का आयुर्वेदिक उपचार
लकवा का आयुर्वेदिक उपचार

1)सौंठ और उड़द को उबालकर इसका पानी पीने से लकवा ठीक हो जाता है।

2)कलौंजी के तेल की मालिश करने से लकवे में लाभ मिलता है।

3) कालीमिर्च पीसकर तेल के साथ लकवे में मालिश करें।

4)लकवे के मरीजों को प्रतिदिन दोपहर के खाने के दो घंटे पहले और शाम के नाश्ते के समय फलों का रस पीना चाहिए। अगर रस उपलब्ध न हो तो ताजे फल फल खा सकते हैं। फलों का आहार लेने से लकवाग्रस्त अंगों में जल्दी सुधार होता है।

5)तुलसी के पत्ते उबाले। अब शरीर के जिस भी अंग में लकवा हो वहां तुलसी के पत्तों की भाप देने से लाभ मिलता है।

6)तुलसी के पत्तों, सेंधा नमक और दही इनको पीसकर लेप बनाएं और लकवा ग्रस्त अंग पर लेप करें।

7)उबलते हुए 1 औंस पानी में शहद के  दो चम्मच डालें। कुछ ठंडा होने पर पिलायें।

8)लकवा के रोगी को 50 ग्राम शहद 1 महीने तक रोजाना खिलाएं, इससे लकवाग्रस्त अंगों में काफी सुधार होगा।

कील मुंहासे झुर्रियां दूर करने के उपाय

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आपके चांद जैसे पर चेहरे की दाग झाइयां दूर करने के कुछ आसान उपाय
1-आपके चेहरे की झाइयां दूर करने के लिए आप नींबू, हल्दी और बेसन का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगा सकते हैं इस्को लगाने के 25-30 मिन्ट बाद इस लेप को मोसम अनुसार हलके गरम पाने से धो कर चेहरे पर गुलाब जल की की कुछ बुंद जरुर लगा लें इतना धयान जरूर रखें कि हलदी अपने हाथ से पिस्वाई गई हो बजार से ली गई नकली या मिलावटी हलदी फ़ायदे की जगह नुकसान कर सकती है I
2-अगर संभव हो तो जोहड की काली मिटी अपने घर ला कर कूट पीस कार छान लें
इस छाअनी हुई मिटी मे से तकरीबन 100 ग्राम मिटी भिगो कर रात को सोने से 1 घंटा पहले लगा लें
तथा सोते वकत इस्को कुन्कने पानी से धो कर गुलाब जल लगा ले 20-25 दिन मे चमत्कार खुद देख लें
3-पके हुए पपीते के गुदे को चेहरे पर मसलने से भी चेहरे के दाग झाइयां दूर हो जाती हैं इस प्र्योग को लगातार 50-60 दिन तक करना चाहीए।

 चेहरे पर होने वाली झाइयां  दागो को दूर करने के लिए आवशक है कि आप पुरी तरह सवस्थ हो आप्को किसी तरह कि मासिक दिक्कत,मान्सिक परेशानी, टेन्शन इत्यादी ना हो I
अगर आप किसी परेशानी मे हैं तो पहले अपनी उक्त परेशानी दूर करें  टेन्शन मान्सिक परेशानी को भूल जाएं कयोकि अगर इसके सभी परिणाम बुरे है ओर यह किसी समस्या का निदान नही हैI

आपको हर रोज कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए   अगर हो सके तो नहर का पानी पीना चाहीए I
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