डेंगू की चिकित्सा


आजकल डेंगू एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है, जिससे कई लोगों की जान जा रही है l
डेंगू एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज ही नहीं है मगर इसको दबाय़ा जो सकता है । परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l वायरल रोग डेंगू
तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l
यदि आपके किसी भी जानकार को यह रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो चित्र में दिखाई गयी चार चीज़ें रोगी को दें :
1) अनार जूस
2) गेहूं घास रस
3) पपीते के पत्तों का रस
4) गिलोय/अमृता/अमरबेल सत्व

- अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l
- पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में 2 से 3 बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l
- गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में 2-3 बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है l यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर "गिलोय घनवटी" ले आयें जिसकी एक एक गोली रोगी को दिन में 3 बार दें l

यदि बुखार एक दिन से ज्यादा रहे तो खून की जांच अवश्य करवा लें l
यदि रोगी बार बार उलटी करे तो सेब के रस में थोडा नीम्बू मिला कर रोगी को दें, उल्टियाँ बंद हो जाएंगी l
ये रोगी को अंग्रेजी दवाइयां दी जा रही है तब भी यह चीज़ें रोगी की बिना किसी डर के दी जा सकती हैं l
डेंगू जितना जल्दी पकड़ में आये उतना जल्दी उपचार आसान हो जाता है और रोग जल्दी ख़त्म होता है l
रोगी के खान पान का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि बिना खान पान कोई दवाई असर नहीं करती l

जामुन की कीमती लकड़ी

पानी की टंकी मे काई लग जाती है तो जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल या हरी काई नहीं जमती और पानी सड़ता नहीं है| टंकी को लम्बे समय तक साफ़ नहीं करना पड़ता |
पानी की टंकी मे काईजामुन की एक खासियत है कि इसकी लकड़ी पानी में काफी समय तक सड़ता नही है।जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है।नाव का निचला सतह जो हमेशा पानी में रहता है वह जामून की लकड़ी होती है।
गांव देहात में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामून की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे जमोट कहते है। आजकल लोग जामुन का उपयोग घर बनाने में भी करने लगे है।
जामून के छाल का उपयोग श्वसन गलादर्द रक्तशुद्धि और अल्सर में किया जाता है।
दिल्ली के महरौली स्थित निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में जीर्णोद्धार हुआ है |700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ पानी के सोते बंद नहीं हुए हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था।

रक्त प्रदर रोग का उपाय (कल छूटना )

 रक्त प्रदर रोग का उपाय (कल छूटना )
 रक्त प्रदर रोग का उपाय (कल छूटना )

रकत प्रदर रोग या कल छूटना दो तरह का होता है एक में  रकत बहता है दूसरे में पानी । स्त्री जाति को रकत प्रदर रोग हो जाने पर या कल छूटने पर उसके सरीर से लगातार माहवारी का रकत बहता रहता है।या पानी चलता है ।जिस्से उसके सरीर में रकत की कमी हो जाती उसकी मौत भी हो सकती है। इस रोग का शीघ्र उपचार करना चाहीए।
उपचार- इस रोग में हलदी 5 ग्राम, रसौत 5 ग्राम,चंदन 5 ग्राम ले कर कूट पीस कर कपड्छान करके इसमें से 1-1 ग्राम दवा सुबह शाम कच्चे चावल के धोवन से लगातार 7 दिन खाने से यह नामुराद रोग सदा के लिए जाता रहता है ।म.वि.स-183

सदा बने रहें जवान

सदा बने रहें जवान

जवान बनें रहना आपके लिए सबसे आसान और कम खर्च
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4 माह तक हेल्थ किट का सुबह शाम इस्तेमाल करे (कीमत 1905-00) सिर्फ़ 4 माह तक ओर साथ मे छोटी हरड़ या काली हरड़, या जो हरड़ जो एक ही दवा के नाम है हर रोज नियमित रूप मैं सुबह शाम खाना खाने के बाद मूह मैं दल कर चूसे बस इससे बेहतरीन आपको जीवन मैं नही मिल सकती ये वो दवा है यह एक छोटी सी दवा आपके बाकी बचे जीवन मैं कोई बीमारी नही लगने देगी ओर सदा जवान बनाए रखेगी कोई बीमारी नही लगने देगी इसको लगातार इस्तेमाल करते रहना है 
 नींद न आना, आलस और भूख-प्यास की समस्या खत्म हो जाती है। चेहरे की झुर्रियां समाप्त होकर त्वचा सुंदर बन जाती है।

का तरीका बताया जा रहा है। इस अनोखे तरीके से आप हमेशा जवान बने रहेंगे।  इसे करने में आपको परेशानी भी नहीं होगी न ही किसी प्रकार का कोई खर्च आपको करना पड़ेगा। इस प्रयोग से आपके चहरे पर हमेशा जवानी की चमक बनी रहेगी।
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सिर दर्द

सिर दर्द का आसान इलाज
 

सिर दर्द-migrane,headache-acheपास के किसी दुकान्दार से 5 रु का एलूमीनियम नामक कैमीकल ले आएं यह बालूशाही बनाने मे आम्तौर पर इसतेमाल होता है,
 

अगर ना मिले तो किसी हलवाई से थोडा मांग ले दे देगा

इसमे से एल चुट्कीभर किसी काच की सीसी मे डाल कर ढक्कन बंद करके हिलाए 2 मिन्ट बाद इस्का ढकन थोडा खोल कर जोर से नाक से सूघें बस पांच मिन्ट मे आप्का सिर दूखना बन्द हो जाएगा 

पिता पथरी


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 पित्ते की पथरी के मरीज को यथा संभव पिता निकवाने से बचना चाहीये व इस्का निदान भारतीय जडी बूटीयो की पावर का लाभ लेने के लिए निमन्लिखित योगों का इस्तेमाल करके फ़ायदा उठाना चाहीए जिसके लिए आसान घरेलू नुस्खे नीचे लिखे जा रहे है  जिनका उपयोग करने से  इस भंयकर रोग से होने वाली परेशानी में राहत व मुकती मिल सकती है
इन दवाओ से लगातार 3 माह तक इलाज जारी रखने पर रोग से यथासंभव मुक्ति मिल जाती है।
1-नींबू  का रस 10 ग्राम की मात्रा में सुबह खाली पेट पीयें हर रोज लगातार दो सप्ताह तक पीना चाहीए यह पित्ता पथरी को गला कर बाहर निकालता है।
2- जैतून का तेल 20-25 मिली ग्राम मात्रा मे सुबह खाली पेट पीए । इसके तत्काल बाद में 100 ग्राम अंगूर का रस या निम्बू का रस 30 ग्राम पी लें । यह दवा 21 दिन तक जारी काफ़ी बढीया नतीजे मिलते हैं।
3- गाजर और ककडी का रस 100-100 ग्राम की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीते रहने से लाभ होता है।
Calculus in Gallbladder

  पथय व अप्थय-  पित्त पथरी के रोगी के भोजन में पूरी मात्रा में हरी व रेशेदार  सब्जीयां और फ़ल नियमित रुप से दें । तथा जरुरत से कम भोजन करे व सिरफ़ दो समय सादा खाना लेI
पानी - सुबह खाली पेट व रात को सोते समय गरम किया हुआ पानी पेने की आदत डाले व यथा संभव सिरफ़ गरम पानी का पर्योग करे I

अप्थय-खटी, खटाई युकत चीजें,बासी,तली-गली,मसालेदार, वसा युकत,चीजों का सखत परहेज जरुरी है।
शीतल पानी बिल्कुल ना पीएं I

कब्ज व बवासीर का इलाज

कब्ज व बवासीर का इलाज
कब्ज ,बवासीर के पूर्व का ल्क्षण होता है कब्ज होना अगर कब्ज की चेतावनी को आप नही समझ्ते हैं तो याद रखें छह माह के अन्दर-अन्दर काभी भी आपको यह बवासीर का ना-मुराद हो जाने के संकेत है
कब्ज   बवासीर का मूल कारण हमारे शरीर की आंतो की गर्मी का

बढ. जाना ओर हमारे सरीर मे पानी की कमी हो जाना है। पानी की कमी से आंतों मे खुश्की हो कर उन्मे मल सूखने लग जाता है ओर आंतो की परत से चिप जाता है   और मल निष्कासन में जोर लगाना पडता है कभी कभी आंतो से मल चिपक्ने से आंतो मे घाव भी हो जाते है।
बवासीर रोग को 3 भागों मे बांटा जाता है
1-कब्ज


कब्ज बवासीर से पुर्व का लक्षण होता है जिस्का मत्लब है कि आप्के सरीर मे आंतो की गर्मी बढ गई है ओर पानी की कमी है आप्को सचेत हो जाने की जरुरत है सुबह उठ्ते ही पानी पीजिए थोडी सैर हर रोज करे गर्म तासीर की चीजो का खान पान छोड दे रेशेदार फ़लो सब्जीयो का इस्तेमाल करे थोडा सरीर पर धयान दे ये रोग ठीक हो जाएगा चिन्ता की बात नही है

2--साध्य बवासीर
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अगर आप्ने इस रोग की प्र्थम चेताव्नी कब्ज को गंभीरता से नही लिया तो इसकी दुसरी सटेज साध्य बवासीर का सामना करने के लिये तैयार रहना होगा क्योकि कबज के कारण इसकी दूसरी अवस्था मे मल सूक कर आप्की आंतो मे जम जाने से बवासीर नामक रोग हो जाएगा जिस्के परिणाम गंभीर होते जाएंगे इस अवस्था को भी थोडे कशट के साथ ठीक किया जा सकता है जिस्मे आप्को सबसे पहले पुरी तरह कबज को ठीक करना होगा ओर कबज ठीक होने के साथ साथ बवासीर का इलाज भी करना होगा
3- कष्ट साध्य बवासीर
बवासीर के भी अन्देखा करने के बाद होने वाले रोग का नाम है कष्ट साध्य बवासीर इमे रोग तो तक्रीबान वही होता है मगर बीमारी तक्लीफ़ का दाय्ररा बड. जाता है बिमारी मे गुदा के रासते खून गिरने लग सक्ता है,मस्से भी हो सकते हैं, भगंदर भी हो सकती है  तक्लीफ़ मे बैठ्ने मे दिक्कत, चलने फ़िरने मे दिक्कत, पेट मे गैस,अफ़ारा,पेट का बढ जाना,   हाजिमा खराब हो जाना इत्यादि हो सकते है,
कब्ज व बवासीर का इलाज
धयान रखें कि एलोपैथिक दवाओ मे इस रोग का इलाज ढूंड कर समय खराब ना करें ओर ना ही आप्रेशन इस बीमारी का उप्चार है इस बीमारी का सही उप्चार तो अपने सरीर का खान पान का संतुलन बनाकर अपने घर पर ही कर सकते है जिस्के लिये नीचे कुछ आसान प्र्योग लिखे गये हैं 


1- पक हुआ (बेलपत्र फ़ल ) बिल्व फ़ल कब्ज के लिये अति श्रेष्ठ औषधि है। इस फ़ल को पानी में उबाल कर मसल लें ओर इसका रस निकालकर हर रोज 40 दिन तक लगातार पियें। इस्से बवासीर रोग के साथ साथ कबज भी ठीक जो जाती है
2- इसबगोल का भूसा कबज में बहुत गुण्कारी है 2-2 चमच सुबह शाम पानी के साथ इसबगोल सुबह  रात को सोते समय लेना फ़ायदेमंद है दस्त खुल कर होने लगता है। इसके प्र्योग से आंतो की खुशकी दूर होती है तथा आंतों की सक्रियता बढाता है मल को आंतो से चिपक्ने नही देता यह एक कुदरती रेशा है जो कुद्रत ने हमे जडी बूटीके रूप मे दिया है
कब्ज व बवासीर  
 -3 एक कप गरम पानी मे 1 चम्म्च शुध शहद मिलाकर पीने से कब्ज का रोग मिट जाता है। यह योग हर रोज दिन मे 2-3 दफ़ा पीना लगातार पीना चाहीए यह कबज के साथ साथ पूरे सरीर के लिए हित्कारी है।

4 -अलसी के बीजों को पीस्कर पावडर बना लें। एक गिलास
 पानी मे 10 ग्राम के करीब यह पावडर डाल लें और 2-3 घन्टे तक भीग्ने दें फ़िर छानकर यह पानी पी जाएं। यह कबज बवासीर तथा सरीर की खुशकी का बेहद सस्ता ओर फ़ाय्देमंद ईलाज है। अलसी में प्रचुर मात्रा मे रेशा ओमेगा फ़ेटी एसिड् वगैरा होते हैं जो कब्ज,बवासीर निवारण में भूमिका निभाते हैं।
5-  अंजीर फ़ल जिसको कुदरत ने कब्ज रोग निवारण के लिये ही बनाया है। अंजीर फ़ल जिसका आकार भी गुदा के आकार से मिलता है। अंजीर फ़ल के 5 नग ले कर रात  को मिटी के बर्तन यानी हाडी मे 2 गिलास पानी भर कर भिगो दें ये भीगे हुए अंजीर फ़ल सुबहखाली पेट निरना बासी चबा चबा कर खाएं। यह आंतो की खुशकी को दुर करर्के आंतों चीकना बनाता है सरीर मे पानी की कमी को दुर करता है  कब्ज  बवासीर का नाश करता है अंजीर फ़ल
6--अगर कबज का प्रकोप अधिक हो तो कौडतुम्बा ले कर पैरो के तल्वो मे रात को मसल लें इस्से दसत खुल कर आता है
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