पुरे परिवार की बिमारी से आजादी का पैक


 हेल्थ होमियो क्या है-हेल्थ होमियो:-हेल्थ होमियो सकीम के बारे मे प्रशिक्षण दिया गया व
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इसके बारे मे बताया गया कि सरकार का मकसद इस सकीम को सी.एस.सी सैंटरों के माधयम से पेश करके राज्य के गरीब व बिमारीओं से ग्रस्त आम नागरिक जो कि मंहगे इलाज के अभाव में अपनी कीमती जान को जोखिम में डाल देते है। इस हेल्थ होमियो सकीम के माधयम से अपोलो असपताल जैसे बडे-बडे स्पैशलिस्ट डाकटरो से गरीब से गरीब लोगों को ससता इलाज व दवाई का पूरे परिवार के लिए पैक के रूप में पेश किया है। कोई भी आम नागरिक अपने नजदीकी सी एस सी सेन्टर पर जाकर रजिस्टेशन करवा सकता है तथा रजिस्टेशन फिस 999/-रूपये है इसके तहत आवेदक के पुरे परिवार की हर प्रकार की बिमारी का इलाज व दवाईया प्रापत कर सकता है।इस सकीम के अन्दर हर छोटी ,बडी, बिमारी शामिल होगी चाहे वह गुपत रोग ही क्यों ना हो मरीज को डाक्टर से प्रामर्श व दवा सी एस सी सेन्टर के माध्यम आनलाईन होगा।
 फ़ास्ट सी.एस.सी पर 14 अगस्त सें लांच कर दी गई हैं कोई भी नागरिक उकत सकीमों की पूरी जानकरी या लाभ उठाने के लिए 9416107685 पर काल कर सकता है या मेल कर सकता है।
 कया है होमियोपैथी चिकित्सा-होमियोपैथ पाचन तंत्र को व्यवधान नहीं पहुंचाता और ना ही वह एंटीबायोटिक्स की तरह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। होमियोपैथिक दवाएं सुरक्षित होती हैं और एलोपैथ दवाओं के विपरीत, ये दवाएं सामान्यतः साइड इफैक्ट रहित होती हैं एवं कोई ढांचागत क्षति नहीं पहुंचाती। ऐसा इसलिए है, क्योंकि होमियोपैथिक दवाएं कोई रासायनिक क्रिया नहीं करतीं और शरीर के अपने प्रतिरक्षा प्रणाली एवं रोग निदान की शक्ति को उत्तेजित करती हैं।
    अधिकांश होमियोपैथ दवाएं मीठी गोलियों के रूप में दी जाती हैं, जिन्हें लेना बहुत आसान होता है। बच्चे प्रायः होमियोपैथिक दवाएं लेने के लिए आसानी से तैयार हो जाते हैं।
होमियोपैथिक दवाएं एक्यूट और क्रॉनिक दोनों प्रकार के रोगों में प्रभावी होती हैं। मात्र इस पद्धति में कई ऐसी क्रॉनिक बीमारियों का इलाज होता है, जो दूसरी पद्धति में असाध्य मानी जाती हैं।
    होमियोपैथी में मनुष्य को अंगों का एक समूह नहीं, बल्कि एक इकाई मानकर उसका पूरा इलाज किया जाता है। इसलिए शरीर के अलग-अलग भागों का इलाज कराने के लिए अलग-अलग विशेषज्ञों के पास जाने की आवश्यकता नहीं। इस प्रकार यह एलोपैथ से सस्ती पद्धति है।

होमियोपैथिक दवाएं-नवजात शिशु, बच्चों, गर्भवती स्त्रियों, दुग्धपान करानेवाली माताओं एवं वृद्ध लोगों के लिए सुरक्षित है और इनके खुराक की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
 

प्रचलित एलोपैथ चिकित्सा पद्धति के बाद यह सबसे अधिक पसंद की जानेवाली और प्रयोग में लाई जाने वाली चिकित्सा पद्धति है।एलोपैथ चिकित्सा प्रणाली के काफ़ी साईड इफ़ैक्ट होतें है जो काफ़ी देर से सामने आते हैं ,जिनमें लीवर खराब होना,गुर्दे फ़ेल हो जाना ,पाचन तंत्र का खराब हो जाना आदि प्रमुख हैं ।
होमियोपैथिक दवाएं लेने से इनकी आदत या इन पर निर्भरता विकसित नहीं होती। इन दवाओं को मनुष्य पर आजमाकर इनके प्रभाव को परखा जाता है, जानवरों पर नहीं।
एलोपैथिक और आयुर्वेदिक की तुलना में होमियोपैथिक दवाएं सस्ती होती हैं। चूंकि इस पद्धति में डॉक्टर रोग की पहचान करने एवं दवा का चयन करने के लिए लक्षणों पर भरोसा करते हैं, रोग की पहचान की प्रक्रिया मंहगी नहीं होती।
होमियोपैथिक प्रणाली से सभी इससे जले, कटे, और चोट के कारण हुए दाग, जख्म, सायनस के इलाज,सूखी खाँसी,सौंदर्य,क्रॉनिक रोग,एलर्जिक रोगहाई ब्‍लड प्रेशर माइग्रेन गर्भावस्‍था,डिप्रेशन,   आर्टरी ब्‍लाकेज, बच्‍चों में डिप्रेशन ,हिस्टीरिया,स्लिम और फिट दिखना, डेंगू का इलाज,गंभीर बिमारीयां, हड्डियों के सभी तरह के दर्द,मोटापा,घुटनों का दर्द ,एडियों के दर्द होम्योपैथी के जरिये भी बिना किसी साइड इफेक्ट के डेंगू, कैंसर आदि के इलावा सभी तरह की छोटी व बडी बिमारीओं का कारगर इलाज संभव है। 



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मोटापा या पेट की तोंद घटाने के घरेलु उपचार


  मोटापा या पेट की तोंद या चर्बी घटाने के लिये योगा बेहद आवश्यक उपाय है। एरोबिक कसरतें
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लाभप्रदहोती हैं। आलसी जीवन शैली से मोटापा बढता है। अत:सक्रियता व सफ़ीर में चुसती बनाए रखन बेहद जरूरी है।
  1-  शहद मोटापा के निवारण के लिये अति महत्वपूर्ण पदार्थ है।एक चम्मच शहद आधा चम्मच नींबूका रस गरम जल में मिलाकर लेतेरहने से शरीर की अतिरिक्तचर्बी नष्ट होती है। यह दिन में३ बार लेना कर्तव्य है।
  2-पुदीना मेंमोटापा विरोधी तत्व पायेजाते हैं। पुदीना रस एक चम्मच २चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहनेसे उपकार होता है।
3-पत्ता गोभी(बंद गोभी) में चर्बी घटाने के गुण होते हैं।:ज्यादा केलोरी का दहन होता है। इस प्रक्रिया मेंचर्बी समाप्त होकर मोटापा निवारण में मदद मिलती है।
 4-सुबह उठते ही 250 ग्रामटमाटर का रस 2-3 महीने तकपीने से शरीर की वसा मेंकमी होती है।
 5-गाजर का रस मोटापा कमकरने में उपयोगी है। करीब 300 ग्राम गाजर का रस दिन में किसी भी समय लेवें।

   
एक अध्ययन का निष्कर्ष आया है कि वाटर थिरेपी मोटापा की समस्या हल करने में कारगर सिद्ध हुई है। सुबह उठने के बाद प्रत्येक घंटे के फ़ासलेपर 2 गिलास पानी पीते रहें।इस प्रकार दिन भर में कम से कम 2० गिलास पानी पीयें। इससेविजातीय पदार्थ शरीर सेबाहर निकलेंगे और चयापचय प्रक्रिया(मेटाबोलिस्म) तेज होकर ज्यादा केलोरी का दहनहोगा ,और शरीर की चर्बी कमहोगी। अगर 2 गिलास के बजाये 3 गिलास पानी प्रति घंटेपीयें तो और भी तेजी सेमोटापा निवारण होगा।
    कम केलोरी वाले खाद्यपदार्थों का उपयोग करें।जहां तक आप कम केलोरी वालेभोजन की आदतनहीं डालेंगे ,मोटापा निवारणदुष्कर कार्य रहेगा। अब मैं ऐसेभोजन पदार्थ निर्देशितकरता हूं जिनमें नगण्यकेलोरी होती है।

खाने में ये पदार्थ अधिक शामिल करें - नींबू, जामफ़ल (अमरुद), अंगूर, सेवफ़ल, खरबूजा, जामुन, पपीता, आम, संतरा, पाइनेपल, टमाट,र तरबूज, बैर स्ट्राबेरी, सब्जीयां जिनमें नहीं के बराबर केलोरी होती है-पत्ता गोभी, फ़ूल गोभी, ब्रोकोली, प्याज, मूली, पालक, शलजम, सौंफ़, लहसुन, अदरक चाकू से बरीक काट लें, एक नींबू की चीरें काटकर दोनो पानी में ऊबालें। सुहाता गरम पीयें।बढिया उपाय है।

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