तपेदिक रोग होने के कारण व पूर्ण उप्चार |
किन लोगों को इस बीमारी के होने का खतरा ज़्यादा होता है-
जब किसी के शरीर का प्रतिरक्षी तंत्र (immunity system) कमजोर हो जाता है तब उसके इस रोग के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है। उदाहरण के रूप मे:
• कमजोर प्रतिरक्षी तंत्र वालों में- शिशु, वृ्द्ध व्यक्ति, गर्भवती महिला, डाइबीटिज , कैंसर और एच.आई.वी. रोगी आदि आते हैं जिनको इस बीमारी के होने का खतरा ज़्यादा होता है। साथ ही गंदगी वाली जगह पर भी इस बीमारी के होने का खतरा ज़्यादा होता है।
• इस बीमारी से ग्रस्त रोगी के पास जाने से या एक साथ काम करने से भी रोग के पनपने का खतरा बढ़ जाता है।
• शराब पीने वाले या नशा करने वालों को भी इस बीमारी का खतरा होता है।
लक्षण
अगर किसी को दो हफ्ते से ज़्यादा दिनों तक खाँसी हैं और ये सारे निम्नलिखित लक्षण नजर आ रहे हैं –
• बार-बार खाँसना
• रात में पसीना
• बुखार
• भूख में कमी
• सीने में दर्द
• खाँसते-खाँसते बलगम में खून का आना
• खाँसते और साँस लेते वक्त दर्द का एहसास
• थकान और कमजोरी का एहसास
• लिम्फ नोड्स की वृद्धि
• गले में सूजन
• पेट में गड़बड़ी
• अनियमित मासिक धर्म (irregular menstruation)
तो वह तुरन्त जाँच केंद्र में जाकर अपने थूक की जाँच करवायें और डब्ल्यू.एच.ओ. द्वारा प्रमाणित डॉट्स (DOTS- Directly Observed Treatment) के अंतगर्त अपना उपचार करवाकर पूरी तरह से ठीक होने की पहल करें। लेकिन एक बात का ध्यान रखने की ज़रूरत यह है कि टी.बी. का उपचार आधा करके नहीं छोड़ना चाहिए।
इस बीमारी का उपचार पूरी तरह से संभव है । अगर इस रोग का इलाज सही तरह से नहीं किया गया तो यह रोग लाइलाज हो सकता है व अंत में रोगी की जान जा सकती है।
इस रोग का पूर्ण उप्चार
*तपेदिक रोग की खांसी या कोई अन्य खांसी नही जा रही हो तो आप बे हिचक हो कर कंटकारी
उकत योग के साथ साथ इस रोग के लिये ब्रह्मस्त्र कही जाने वाली दवा का प्रयोग जरूर करना चाहिये जो निम्न्लिखित है:-
आक का केसर जिसको आप फ़ोटो मे देख सकते है
पहले दिन एक केसर,दूसरे दिन दो,तीसरे दिन तीन ,फ़िर लगातार अगले 12 दिन तीन केसर लें। इस तरह 15 दिन तक हर रोज एक केसर सुबह खाली पेट चबा कर खाना है इसके बाक अगले 15 दिन बंद कर देना है एक माह पुरा हो जाने पर सभी अनिवार्य टैस्ट करवाने है।
आपका रोग जा चुका है मगर यह दवा आपके पूरे 3 माह तक रिपीट करनी है ।
इस दुनियां मे टी बी के रोग का जड मूल से नाश करने वाली पैदा नही हुई है।
यह अंतिम दशा मे जा चुके रोगी को भी प्राण फ़ूक सकती है ।इस औषध से वे निराश व हताश रोगी भी स्वस्थ हो जाते हैं जिनहोंने जीने की आस ही छोड दी थी बहुत ही अच्छी औषध है।
1- रोगी को गुड,चावल,ठंडी,चिकनी,खटाई युक्त चीजों का इसतेमाल बंद कर दें।
2- लहसुन को एंटीबायोटिक होता है इसको हर रोज के खाने मे शामिल करें इसके सेवन से टीबी के कीटाणु नष्ट करने में मदद मिलती है।
3- क्षय रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन तुलसी की 5 पत्तियां खाने को देनी चाहिए जिसके
फलस्वरूप इस रोग का प्रभाव कम हो जाता है।
4- क्षय रोग (टी.बी.) से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में खुली हवा में गहरी सांस लेनी चाहिए तथा कम से कम आधे घण्टे तक ताजी हवा में टहलना चाहिए।
6- क्षय रोग (टी.बी.) से पीड़ित रोगी को खाने के साथ पानी नहीं पीना चाहिए
बल्कि खाना खाने के लगभग 10 मिनट बाद पानी पीना चाहिए।
7- क्षय रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन बकरी का दूध पीने के लिए देना चाहिए क्योंकि बकरी के दूध में क्षय रोग के कीटाणुओं को नष्ट करने की शक्ति होती है।
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