औषधि या दवा से रोग
शांत ना हो तो समाझ लेना चाहीए कि ग्रह दोष का प्रकोप है अर्थात ग्रह की महादशा , अन्तर्दशा लगी हुई
है तथा इस्के लिए विधि विधान से मंत्र जाप , रत्न ,एवं जड़ी बूटिया धारण
करनी चाहिए व ग्रह के आनुसार दान व पुजा इत्यादि पर विचार करना चाहीए | इससे रोग हल्का होगा और ठीक होने लगेगा | रत्न उपरत्न सम्बंधित
ग्रह के वार व् नक्षत्र में धारण करने चाहिए | दान संकल्प करके ब्रह्मण या जरूरतमंद को श्रद्धापूर्वक देना
चाहिए |
ग्रहदोष के अनुसार
होने वालए रोग ग्रह अनुसार उप्योगी रतन,उप्रतअन, व रत्नो की जगह
धारन की जाने वाली जडी बूटीया व दान आदि का वर्णन निम्नलिखित है |
1-सूर्य गृह से सम्बंधित
रोग : सिरदर्द
, ज्वर , नैत्रविकार , मधुमेय , पित्त रोग , हैजा , हिचकी आदि |
रत्न उपरत्न
: माणिक्य , लालड़ी , तामडा , महसूरी |
जड़ी बूटिया
: बेलपत्र की जड़
दान : गेंहू
, लाल और पीले मिले हुए
रंग के वस्त्र , लाल फल लाल मिठाई , सोने के कण , गाय, गुड और तांबा
2-चन्द्रमा से सम्बंधित
:-
रोग : तिल्ली
, पांडू , यकृत , कफ , उदार सम्बन्धी विकार
, मनोविकार
रत्न उपरत्न
: मोती , निमरू , चंद्रमणि , सफ़ेद पुखराज , ओपल
जड़ी बूटिया
:खिन्नी की जड़
दान : चावल
, श्वेत वस्त्र , कपूर , चांदी , शुद्ध , सफ़ेद चन्दन , वंश फल , श्वेत पुष्प , चीनी , वृषभ , दधि , मोती आदि |
3-मंगल से सम्बंधित
:-
रोग : पित्त
, वायु , कर्ण रोग , गुणगा , विशुचिका , खुजली , रक्त सम्बन्धी बीमारिया
, प्रदर , राज , अंडकोष रोग , बवासीर आदि |
रत्न - उपरत्न
: मूंगा , विद्रुम
जड़ी बूटिया
: अनंत मूल की जड़
दान : लाल
मक्का , लाल मसूर , लाल वस्त्र , लाल फल , लाल पुष्प
4-बुध से सम्बंधित
:-
रोग : खांसी
, ह्रदय रोग , वातरोग , कोढ़ , मन्दाग्नि , श्वास रोग , दम , गूंगापन
रत्न उपरत्न
: पन्ना , संग पन्ना , मरगज तथा ओनिक्स
जड़ी बूटिया
: विधारा की जड़
दान : हरी
मुंग , हरे वस्त्र , हरे फल , हरी मिठाई , कांसा पीतल , हाथी दांत , स्वर्ण कपूर , शस्त्र , षटरस भोजन , घृत आदि
5-वृहस्पति से सम्बंधित
:-
रोग : कुष्ठ
रोग , फोड़ा , गुल्म रोग , प्लीहा , गुप्त स्थानों के रोग
जड़ी बूटिया
: नारंगी या केले की जड़
दान : चने
की दल , पीले वस्त्र , सोना , हल्दी , घी , पीले वस्त्र , अश्व , पुस्तक , मधु , लवण , शर्करा , भूमि छत्र आदि
6-शुक्र से सम्बंधित
:-
रोग : प्रमेह
, मंद बुद्धि , वीर्य विकार , नपुंसकता , वीर्य का इन्द्रिय
सम्बन्धी रोग
रत्न उपरत्न
: हिरा,
करगी , सिग्मा
जड़ी बूटिया
: सरपोखा की जड़
दान : चावल
, चांदी , घी , सफ़ेद वस्त्र , चन्दन , दही , गंध द्रव्य , चीनी , गाय , जरकन , सफ़ेद पुष्प आदि
7-शनि से सम्बंधित
:-
रोग : उन्माद
, वाट रोग , भगंदर , गठिया , स्नायु रोग , टीबी , केंसर , अल्सर
रत्न उपरत्न
: नीलम , नीलिमा , जमुनिया , नीला कटहल
जड़ी बूटिया
: बिच्छु बूटी की जड़ या शमी की जड़
दान : काले
चने , काले कपडे , जामुन फल , कला उड़द , काली गाय , गोमेद , काले जूते , तिल , उड़द , भैस , लोहा , तेल , उड़द , कुलथी , काले पुष्प , कस्तूरी सुवर्ण
7-राहू से सम्बंधित
:-
रोग : अनिंद्रा
, उदर रोग , मस्तिष्क रोग, पागलपन
जड़ी बूटिया
: सफ़ेद चन्दन
रत्न उपरत्न
: गोमेद , तुरसा , साफा
दान : अभ्रक
, लौह , तिल , नीला वस्त्र , छाग , ताम्रपत्र , सप्त धान्य , उड़द , कम्बल , जोऊ , तलवार
8-केतु से सम्बंधित
:-
रोग : चर्म
रोग , मस्तिष्क तथा उदर सम्बन्धी
रोग , जटिल रोग , अतिसार , दुर्घटना , शल्य क्रिया आदि
रत्न उपरत्न
: वैदूर्य , लहसुनिया , गोदंती संगी
जड़ी बूटिया
: असगंध की जड़
दान : कस्तूरी
तिल , छाग , कला वस्त्र , ध्वज , सप्त धान्य , उड़द , कम्बल |
यदि औसधि से
रोग तो ग्रह का प्रकोप अर्थात ग्रह की महादशा , अन्तर्दशा लगी हुई समझनी चाहिए | मंत्र जाप , रत्न ,एवं जड़ी बूटिया धारण
करनी चाहिए | इससे रोग हल्का होगा
और ठीक होने लगेगा | रत्न उपरत्न सम्बंधित
ग्रह के वार व् नक्षत्र में धारण करने चाहिए | दान संकल्प करके ब्रह्मण या जरूरतमंद को श्रद्धापूर्वक देना
चाहिए |