सायटिका का दर्द

सायटिका  का दर्द-sciatica pain


sciatica nerve disease-herbspowerofindia
सायटिका नसों से सबींधित  बीमारी है जिसमें रोगी की एक टांग मे  भयान
अगर आप भी सायटिका पेन से परेशान है तो आपको पेन अवे गोली ओर तेल का 3 माह तक इस्तेमाल करना चाहिए
ओर स्थ मे नीचे दिए गये किसी एक योग का पर्योग करे  सायटिका  का दर्द जल्द ही ठीक हो जाएगा।
  प्रयोग
1- मीठी सुरंजान 20 ग्राम + सनाय 20 ग्राम + सौंफ़ 20 ग्राम + शोधित गंधक 20 ग्राम + मेदा लकड़ी 20 ग्राम + छोटी हरड़ 20 ग्राम + सेंधा नमक 20 ग्राम इन सभी को लेकर मजबूत हाथों से घोंट लें व दिन में तीन बार तीन-तीन ग्राम गर्म जल से लीजिए।
 2- लौहभस्म 20 ग्राम + रस सिंदूर 20 ग्राम + विषतिंदुक बटी 10 ग्राम + त्रिकटु चूर्ण 20 ग्राम, इन सबको अदरक के रस के साथ घोंट कर 250 मिलीग्राम के वजन की गोलियां बना लीजिए और दो-दो गोली दिन में तीन बार गर्म जल से लीजिए।
 3- एरण्ड के बीज की पोटली बनाकर उस से सेंक करें। दर्द से जल्द ही राहत मिलेगी।
4- 50 पत्ते परिजात या हरसिंगार के व 50 पत्ते निर्गुण्डी के पत्ते लाकर एक लीटर पानी में उबालें। जब यह पानी 750 मिली हो जाए तो इसमें एक ग्राम केसर मिलाकर एक बॉटल में भर लें। यह पानी सुबह शाम पौन कप मात्रा में पीएं। साथ ही दो-दो गोली वातविध्वंसक वटी की भी लें।
क दर्द होता है। इसका मुख्य कारण सायटिक नर्व है। यह वो नर्व है जो रीढ़ के निम्न भाग से निकलकर घुटने के पीछे की ओर से पैर की तरफ जाती है। शरीर को अधिक समय तक एक ही स्थिति में रखने से यह दर्द बढ़ जाता है यह पेन बहुत असहनीय होता है। अक्सर यह समस्या उन लोगों में होती है जो बहुत समय तक बैठ कर काम करते हैं या बहुत अधिक चलते रहने से, अत्यधिक साइकिल, मोटर साइकिल अथवा स्कूटर चलाने से सायटिक नर्व पर दबाव पड़ता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि अचानक हड्डियों पर जोर पड़ जाने से भी इस प्रकार का दर्द होता है। इस प्रकार का दर्द अक्सर 40 से 50 वर्ष की उम्र में होता है और यह बीमारी बरसात या ठंड के मौसम में ज्यादा तकलीफ देती है।
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रंग गोरा करने के लिए

रंग गोरा करने  के लिए

गोरा रंग करने के लिए उपचार
getting buety-herbspowerofindiaरंग गोरा करने के लिए उपलब्ध कई सौंदर्य प्रसाधन बाजार मैं होते है मगर अपने देखा होगा की टेलीविज़न या कई परचर देखने के बाद आप उस प्रसाधन का जब इस्तेमाल करते है तो आपको निष्पक्ष रूप मे कोई सही
परिणाम नही मिलता क्योकि ये सभी उत्पाद पैसा कमाने के लिए बनते है ओर अधिकतर कंपनी इससे कमाई करने मैं तो सफल हो जाती है मगर आपका मेहनत से कमाया हुया पैसा बेकार चला जाता है ओर कई दफ़ा आपका रंग ओर अधिक खराब हो जाता है 
इन सभी चीज़ो को नज़र मे रखते हुए हमने  आपके चेहरे की चमक को बरकरार रखने के लिए जाँचे परखे उत्पादो भी लिखने शुरू किए हैं
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जो रंग गोरा करने के साथ साथ त्वचा को कोमल नरम,मुलायम करने  के लिए प्रभावी और सिद्ध हो रहे हैं.
गोल्ड फॅशियल किट
यह तवचा को स्वस्थजानदार गोरा , मुलायम ,चमकदार ,कांतीमये, तथा छुरिया  रहित बनाने के लिए इससे  कम से कम साप्ताह मे एक बार फेशियल ज़रूर करना चाहिए
अगर आपके चेहरे पर किसी तरह के दाग-धब्बे ,निशान, कील छाई काले घेरे इटियादी हैं तो आपको हेर्बल गोल्ड फॅशियल किट  मंगवा कर ज़रूर इस्तेमाल करनी चाहिए
नकली ओर केमिकल युक्त फेशियल कभी भी नही करवाना चाहिए
घरेलू उपचार प्राकृतिक और किसी भी पक्ष प्रभाव के बिना कर रहे हैं. त्वचा निष्पक्ष बनाने और रंग में सुधार लाने के लिए घरेलू उपचार से कुछ हैं:

अगर आप इसके साथ साथ घरेलू व प्राकृतिक उपचार भी शुरू कर सकती हैं जो आपकी तव्चा को नरम एव आपके रंग में निखार लाने के लिए घरेलू उपचार से कुछ नीचे लिखे गये हैं * 2 चम्च बेसन, नींबू का रस की 6 बूँदें, कच्चे दूध का 1 चम्मच और नरम त्वचा पाने के लिए फेस पैक बनाने के लिए जैतून का तेल की कुछ बूँदें ले लो. ओर इनको मिलकर अपने चेहरे पर लेप करे 1-2 घंटे बाद हल्के गरम पानी के साथ धो ले
* सूखे संतरे का छिलका  पीस कर दूध के साथ मिश्रण का लेप करे गोरी त्वचा देने  के लिए यह पर्योग बढ़िया है.
* कच्चे दूध में 4 बादाम के साथ काले चने भिगो दें और यह सुबह में पीस लें ओर लेप करे कुछ ही दिन में ही आपकी त्वचा मे हल्का बदलाव आना शुरू हो जाएगा अपनी त्वचा पर इस पैक लागू करें. बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए दैनिक इस मिश्रण का प्रयोग करें.
* ककड़ी का रस, नींबू का रस और कुछ गुलाब जल से मिलकर फेस पैक बहुत प्रभावी है. शहद और नींबू के रस के साथ एक चेहरा मुखौटा कोशिश करें. कम से कम ध्यान देने योग्य परिणाम प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह के लिए लगातार ओर साथ मैं फेस पैक के साथ फेस मास्क का प्रयोग ज़रूर करें.

 

हकलाना या वाणी दोष का इलाज

हकलाना  या वाणी दोष का इलाज

तुतलाना  हकलाना , तुतलाना  रोग एक असभ्य रोग है इस रोग को ठीक करने के लिए कोई अलोपेथिक दवाई मोजूद नही है इसको ठीक करना मुस्किल काम नही है मगर तोड़ा लंबा ज़रूर है
इसके रोगिओ को हिमालयण बेरी जूस की 1-1 चमच दवा सुबह खाली पेट ओर रत को सोते सम्य 3 माह तक लेनी है
बेध्यनाथ की संख पुष्पी 2-2 चमच खाना खाने के बाद दोनो टाइम लेनी है
इसके इलावा  बच्चे के लिए * बच्चे को एक ताजा हरा आँवला रोज चबाने के लिये दें। बच्चे से कहें कि पूरा आँवला वह चबा कर खा ले। इससे बच्चे की जीभ पतली हो जायेगी और उसके मुख की गर्मी भी समाप्त हो जायेगी।
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बच्चे का तुतलाना और हकलाना बन्द हो जायेगा। 
बड़ों के लिए   * बादाम गिरी 7 और काली मिर्च 7 लेकर कुछ बूंद पानी में घिस कर चटनी बना लें और उसमें थोड़ी-सी मिश्री मिला लें तथा रोगी को सुबह कुछ भी खाने से पहले चटा दें। नियमित रूप से लगभग एक या दो माह तक ऐसा करें। हकलाना और तुतलाना समाप्त हो जाता है 

बायो एनर्जी हेल्दी ब्रेसलेट


बायो एनर्जी हेल्दी ब्रेसलेट 
यह ब्रेसलेट  पार्दूषण,रेडियेशन चुंबकीय शक्ति की कमी से  हमारे सरीर की सेनट्र ऑफ ग्रॅविटी यानी हमारे सारिस के संतुलन सिस्टम के जो सेल्स खराब हो चुके है या मार चुके है उनको सक्रिय कर देता है
यह ब्रेसलेट सही मे कहे तो हमारे सरीर के लिए उर्जा बढ़ाने वाला पवर प्लांट है जिससे आन्त उर्जा का संचार होता है

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यह हमारे सरीर के चारो तरफ सुरक्षा चकर का निर्माण करता है जिससे वातावर्ण मे मोजूद हानिकार्क तत्वो के परभाव से बचा जा सकता है
इसमे 5 तरह की स्वस्थ-वर्धक थेरोपी हैं
1-चुंबकीय थेरोपी 
2-रोर इंफ्रारेड रेंज थेरोपी
3-जर्मेनिउम थेरोपी
4-नगेटिव आयन्स थेरोपी
5-टाइटैनियंम थेरोपी
ये सभी सरीर की सुरक्षा प्रदान करती हैं एवम् इनके प्रभाव असचर्यजनक हैं
यह अनेक बीमारिओ मैं लाभदायक है  जैसे सरिरक ,मानसिक एव यों क्षमता बढ़ने मे,कमर,कंधो,सिर,पैर,मश्पेशिओ या जोड़ो के दर्द,गठिया की बीमारी,कबज,शुगर, ओर इनसे होने वाली बीमारिओ मे,ब्लड प्रेशर एन खून के प्रवाह को ठीक करने मे,ब्लड कोलेस्ट्रॉल को ठीक करने मे तथा ह्रदया एव लिवर को बाल देने मे, ह्रदये की धमनिओ मे आइ रुकावट को ठीक करने म्व, थकावट को दूर करने एव सरिरक़ उर्जा ओर ताक़त देने मे बहोत बेहतरीन है 

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रोग ग्रहदोष का प्रकोप!


औषधि या दवा से रोग शांत ना हो तो समाझ लेना चाहीए कि ग्रह दोष का प्रकोप है  अर्थात ग्रह की महादशा , अन्तर्दशा लगी हुई है तथा इस्के लिए विधि विधान से  मंत्र जाप , रत्न ,एवं जड़ी बूटिया धारण करनी चाहिए व ग्रह के आनुसार दान व पुजा इत्यादि पर विचार करना चाहीए  | इससे रोग हल्का होगा और ठीक होने लगेगा | रत्न उपरत्न सम्बंधित ग्रह के वार व् नक्षत्र में धारण करने चाहिए | दान संकल्प करके ब्रह्मण या जरूरतमंद को श्रद्धापूर्वक देना चाहिए |
रोग ग्रहदोष का प्रकोप!


ग्रहदोष के अनुसार होने वालए रोग ग्रह अनुसार उप्योगी रतन,उप्रतअन, व रत्नो की जगह धारन की जाने वाली जडी बूटीया व दान आदि का वर्णन निम्नलिखित है |

1-सूर्य गृह से सम्बंधित
रोग : सिरदर्द , ज्वर , नैत्रविकार , मधुमेय , पित्त रोग , हैजा , हिचकी आदि |
रत्न उपरत्न : माणिक्य , लालड़ी , तामडा , महसूरी |
जड़ी बूटिया : बेलपत्र की जड़
दान : गेंहू , लाल और पीले मिले हुए रंग के वस्त्र , लाल फल लाल मिठाई , सोने के कण , गाय, गुड और तांबा

2-चन्द्रमा से सम्बंधित :-
रोग : तिल्ली , पांडू , यकृत , कफ , उदार सम्बन्धी विकार , मनोविकार
रत्न उपरत्न : मोती , निमरू , चंद्रमणि , सफ़ेद पुखराज , ओपल
जड़ी बूटिया :खिन्नी की जड़
दान : चावल , श्वेत वस्त्र , कपूर , चांदी , शुद्ध , सफ़ेद चन्दन , वंश फल , श्वेत पुष्प , चीनी , वृषभ , दधि , मोती आदि |

3-मंगल से सम्बंधित :-
रोग : पित्त , वायु , कर्ण रोग , गुणगा , विशुचिका , खुजली , रक्त सम्बन्धी बीमारिया , प्रदर , राज , अंडकोष रोग , बवासीर आदि |
रत्न - उपरत्न : मूंगा , विद्रुम
जड़ी बूटिया : अनंत मूल की जड़
दान : लाल मक्का , लाल मसूर , लाल वस्त्र , लाल फल , लाल पुष्प

4-बुध से सम्बंधित :-
रोग : खांसी , ह्रदय रोग , वातरोग , कोढ़ , मन्दाग्नि , श्वास रोग , दम , गूंगापन
रत्न उपरत्न : पन्ना , संग पन्ना , मरगज तथा ओनिक्स
जड़ी बूटिया : विधारा की जड़
दान : हरी मुंग , हरे वस्त्र , हरे फल , हरी मिठाई , कांसा पीतल , हाथी दांत , स्वर्ण कपूर , शस्त्र , षटरस भोजन , घृत आदि

5-वृहस्पति से सम्बंधित :-
रोग : कुष्ठ रोग , फोड़ा , गुल्म रोग , प्लीहा , गुप्त स्थानों के रोग
जड़ी बूटिया : नारंगी या केले की जड़
दान : चने की दल , पीले वस्त्र , सोना , हल्दी , घी , पीले वस्त्र , अश्व , पुस्तक , मधु , लवण , शर्करा , भूमि छत्र आदि

6-शुक्र से सम्बंधित :-
रोग : प्रमेह , मंद बुद्धि , वीर्य विकार , नपुंसकता , वीर्य का इन्द्रिय सम्बन्धी रोग
रत्न उपरत्न : हिरा, करगी , सिग्मा
जड़ी बूटिया : सरपोखा की जड़
दान : चावल , चांदी , घी , सफ़ेद वस्त्र , चन्दन , दही , गंध द्रव्य , चीनी , गाय , जरकन , सफ़ेद पुष्प आदि

7-शनि से सम्बंधित :-
रोग : उन्माद , वाट रोग , भगंदर , गठिया , स्नायु रोग , टीबी , केंसर , अल्सर
रत्न उपरत्न : नीलम , नीलिमा , जमुनिया , नीला कटहल
जड़ी बूटिया : बिच्छु बूटी की जड़ या शमी की जड़

दान : काले चने , काले कपडे , जामुन फल , कला उड़द , काली गाय , गोमेद , काले जूते , तिल , उड़द , भैस , लोहा , तेल , उड़द , कुलथी , काले पुष्प , कस्तूरी सुवर्ण

7-राहू से सम्बंधित :-
रोग : अनिंद्रा , उदर रोग , मस्तिष्क रोग, पागलपन
जड़ी बूटिया : सफ़ेद चन्दन
रत्न उपरत्न : गोमेद , तुरसा , साफा
दान : अभ्रक , लौह , तिल , नीला वस्त्र , छाग , ताम्रपत्र , सप्त धान्य , उड़द , कम्बल , जोऊ , तलवार

8-केतु से सम्बंधित :-
रोग : चर्म रोग , मस्तिष्क तथा उदर सम्बन्धी रोग , जटिल रोग , अतिसार , दुर्घटना , शल्य क्रिया आदि
रत्न उपरत्न : वैदूर्य , लहसुनिया , गोदंती संगी
जड़ी बूटिया : असगंध की जड़
दान : कस्तूरी तिल , छाग , कला वस्त्र , ध्वज , सप्त धान्य , उड़द , कम्बल |
यदि औसधि से रोग तो ग्रह का प्रकोप अर्थात ग्रह की महादशा , अन्तर्दशा लगी हुई समझनी चाहिए | मंत्र जाप , रत्न ,एवं जड़ी बूटिया धारण करनी चाहिए | इससे रोग हल्का होगा और ठीक होने लगेगा | रत्न उपरत्न सम्बंधित ग्रह के वार व् नक्षत्र में धारण करने चाहिए | दान संकल्प करके ब्रह्मण या जरूरतमंद को श्रद्धापूर्वक देना चाहिए |


जोड़ों का दर्द का पक्का इलाज

 जोड़ों का दर्द का पक्का  इलाज


आलॉवेरा जूस का 3-4 माह तक नियमित इस्तेमाल करे ओर साथ  मे  पेन-अवे का इस्तेमाल करते रहे . गोली ओर .तेल  है
( कीमत 300-00 गोली , 175-00 तेल )
जोड़ों का दर्द का पक्का  इलाज
 उपरोक्त दवा के साथ साथ  किसी भी एक गोली का पर्योग साथ मे करें 
1 भैरव रस
2 आनंद भैरव रस
3 अग्निमुख रस
मे से कोई एक रस की गोली का विधि अनुसार कम से कम 60-90 दिन तक का कोर्स पूरा करें

इससे चोंट मोंच का दर्द, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द और वात प्रकोप साइटिका आदि के कारण होने वाला दर्द दूर करने के लिए यह उपाय बहुत गुणकारी है।

पीडादायक माहवारी में आजमाएं घरेलू नुस्खे

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पीडादायक माहवारी में आजमाएं घरेलू नुस्खे
माहवारी का कष्टकारी होना महिालओं के लिए एक गंभीर समस्या  है, ऎसी महिलाओं को माहवारी यानी पीररियडय के टाइम गर्भाशय की पेशियों में भयंकर खिंचाव और मरोड होता है। पीडादायक माहवारी के कई कारण माने जाते हैं, जैसे-माहवारी के कई कारण माने जाते हैं, जैसे-माहवारी की रूकावट झिल्लीयुक्त मासिक स्त्राव, गर्भाशय का मुड जाना, डिंबाशय की सूजन आदि के इलावा माहवारी के समय संभोग करना या गलत व्यायाम, चुस्त व तंग कपडे पहनना आदि किसी भी कारण से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है । इस्से निमन्लिखित प्रयोगोमे से कोई भी एक नुस्खे को आजमाकर पीडादायक माहवारी से छुटकारा पाया जा सकता

1- 2 से 3 ग्राम अदरक, 4 कालीमिर्च, एक बडी इलायची-इन्हें कूटकर उबलते पानी में डालें, फिर इसमें काली चाय, दूध और शक्कर मिलाएं उबालकर थोडी देर रखने के बाद गर्म-गर्म ही पीएं। पीरियड्स के दर्द से मुक्ति के लिए यह अत्यंत उपयोगी नुस्खा है।
2-माहवारी के दर्द को ठीक करने के लिए आधा चम्मच कलौंजी के बीज का चूर्ण दिन में दो बार गर्म पानी से पीडियड्स के दौरान लें। यदि दर्द बहुत ज्यादा है, तो माहवारी शुरू होने से 3-4 दिन पहले से हय विधि शुरू करें और माहवारी समाप्त होने तक जारी रखें ।

3-अगर पीडा असह्नीय हो तो अम्रितधारा की 1-2 बूंद को 5 बूंद सरसों के तेल में मिला कर पेडू पर लेप करें। इससे पीडा का शमन तुरंत होता है।

पीडादायक माहवारी की शिकार महिलाएं मीठे-नमकीन पदार्थो का संवन कम कर दें, क्योंकि इनसे पेट फूलता है और सुस्ती आती है। इस दौरान हरी सब्जियों व फलों का सेवन अधिक करें। इससे कब्ज व गैस से राहत मिलेगी।

स्वाइन फ्लू या Swine flu का घरेलू इलाज


treat ment for swine flu स्वाइन फ्लू  स्वाइन फ्लू  या इनफ्लुएंजा  का घरेलू इलाज
 स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है।
1 हलदी की गांठ
3 काली मिर्च
treat ment for swine flu स्वाइन फ्लू  25 तुलसी के पत्ते
2 इंच गिलोय डंडी
5 लोंग
सभी को जैकुट करके 2 गिलास पानी में काढा बनाए जब 1/2 कप पानी शेष बचे तो उतार कर छान कर इसकी 2 खुराक बनाकर लगातार इसी तरह पांच दिन तक पीने से स्वाइन फ्लू का नाश हो जाता है

सर्दी के लिए वाजीकारक नुस्खे

सर्दी के लिए वाजीकारक नुस्खे
आयुर्वेद की यहा अनेक औषधियां लिखी जा रही हैं जिनसे यौवन को बरकार रखा जा सकता है, बस आवश्यकता है तो इनके सही इसतेमाल करने की

- कौंच के बीज (शुध किए हुए), खजूर, सिंघाड़ा, दाख और उड़द इन सब को 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर 250 मिली पानी में मिलाकर पकाएं। जब पानी समाप्त हो जाए तो इसमें खांड, वंशलोचन, शुद्ध घी एवं शहद मिलाकर सेवन करने से शुक्र शक्ती बढ्ती है
imc shree tulsi

-यौन शक्ति को बढ़ाने व खोई हुई ताकत वापस लाने के लिए असरोल की जड़ का पावडर तथा कासनी हीरो व अरेबियन तेल लाभदायक सिद्ध होते हैं। इन औषधियों से किसी भी प्रकार के यौन संबंधी समस्याएँ होने पर इस्तेमाल करें लाभप्रद सिद्ध होगी। इस दवा को हिंदी में बबूल के रस के नाम से जाना जाता है।

-मुलेठी के 1.5 ग्राम चूर्ण को शुद्ध घी और शहद के साथ सेवन करने से भी कामेच्छा बढ़ती है।
मगर नोट करे कि शहद ओर घी को भूल कर भी ब्राबर मात्रा मे इसतेमाल न करे

-गोखरू बीज, तालमखाना बीज, शतावरी, कौंच बीज, नागबला की जड़, अतिबला की जड़ इन सब को मोटा-मोटा कूटकर कर 2.5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सुबह शाम लेने से पौरुष शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है

-शतावरी, गोखरू, विरादीकंद, शुद्ध भल्लातक, गिलोय, चित्रक, त्रिकटु, तिल, विदारीकन्द और मिश्री मिलाकर बनाया गया चूर्ण, जिसे नरसिंह चूर्ण भी कहा जाता है, एक उत्तम वाजीकारक औषधि है इसे सर्दी मे खाकर तंदरुसती व जवानी हासिल की जा सकती है।

-अकाकिया बबूल की फलियों तथा पत्तों का रस है जिसे सुखाकर टिकिया बनायी जाती है। यह दवा पेशाब में धातु तथा स्वप्न दोष के लिए अचूक औषधि है। जो व्यक्ति इस तरह के रोग से ग्रसित है उन्हें बबूल का रस 1 से 1 1/2 ग्रा. तक सेवन करना चाहिए। इसके अलावा अकाकिया अन्य बीमारियों में भी लाभकारी हैं जैसे- खूनी पेचिश, श्वेत प्रदर, आँख आना, मुँह में छाले होना आँतों में खराश गर्मी के कारण उत्पन्न होने वाली सूजन गाँठ इत्यादी मे भी फ़ायदेमंद है।


-कच्चे लहसुन की 2-3 कलियो का प्रतिदिन सेवन करना यौन-शाक्ति बढ़ाने का बेहतरीन घरेलु उपचार है तथा इस योग से कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रण मे रखा जा सकता है यह उत्तम दवा है

-15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं, फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें और शीशी में भरकर रख दें। 5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे यौन दुर्बलता दूर होती है।

 -सालम पंजा व विदारीकन्द को ब्राबर मात्रा मे पीस कर 5 ग्राम चूर्ण में पिसी मिसरी व घी मिला लें। इस चूर्ण को खाने के बाद इसके ऊपर से मीठा ग्रम दूध पीने से वृद्ध पुरुष की भी संभोग करने की क्षमता वापस लौट आती है।

-5 ग्राम गोखरू का चूर्ण और काले तिल 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर इसे 250 मिलीलीटर बकरी के दूध में उबालकर तथा उसे ठंडा करके शहद को मिलाकर खाना चाहिए। इसका सेवन करने से हैंडप्रैक्टिस (हस्तमैथुन) से यौन क्रिया में आई कमजोरी भी समाप्त हो जाती है।

-200 ग्राम विधारा और 200 ग्राम  असगंध नागौरी व 200 ग्राम मिश्री- इन तीनों को लेकर कूट पीस लें। फिर इसे अच्छी तरह से कूट-पीसकर तथा इसे छानकर रख लें। सुबह के समय रोजाना इस चूर्ण को 2 चम्मच खा लें। उसके बाद ऊपर से मिश्री मिला हुआ गर्म-गर्म दूध को पी लें। इस चूर्ण का इस्तेमाल करने से बुजुर्ग व्यक्ति भी जवानों के समान संभोग कर सकता है।

इन सभी दवाओ पर गुड,आचार,खटाई,मसालेदार वस्तुओ का तयाग करके लगातार 40 से 60 दिन तक जरुर इसतेमाल करे व लाभ उठाए

इंद्री के आकार का छोटा या टेढा होना

इंद्री के आकार का छोटा या टेढा होना
इंद्री के आकार का छोटा होना एक आम बात है जो जैनेटिक भी हो सकता है ओर कुर्मित भी ,traetment for small body partsमगर दोनो ही दशा मे ये शारीरिक सम्‍बंधों की मधुरता को कम कर सकता है और पुरूषों को इससे आत्‍मग्‍लानि भी जाती है। वे कई बार हाथों से ही इंद्री का साइज बढ़ाने के लिए एक्‍सरसाइज करते हैं जिस्के बुरे प्रभाव भी देखने को मिलते। जिन्मे मुखय रुप मे गुपत रोगों के माहिर बन कर कुछ ठग इस तरह के प्रभावित लोगो को ठग्ते है जिनके किस्से आम तौर पर सुनने को मिलते है, स्‍ट्रांग इरेक्‍शन के लिए आप हेल्‍दी डाइट ले सकते हैं लेकिन इस समस्‍या से निजात मिलना, आपकी मेहनत और एक्‍सरसाइज करने के सही तरीके पर ही निर्भर करता है।
आपको यहा पर देसी तरीके से इंद्री की छोटे पन य़ा टेढे होने की शिकायत को सदा के लिए ठीक करने का अती कारगार फ़ारमूले के बारे मे बताते है
5 ग्राम मल्ल तेल किसी बढीया कंप्नी की सीसी ले
3 पान के पत्ते लें
नीम की सीक से मल्ल तेल को अपनी इंद्री  पर लगा कर हलके हाथ से सुपारी को छोड कर मालिश उपर की ओर करे 8-10 मिन्ट मालिश करके पान के गर्म किए हुए पत्ते बान्ध ले इस तरह हर तीसरे दिन लगातार 7 दफ़ा करे
आपकी इंद्री  के सभी दुख दूर हो जाए गे

1. अपने जेस्‍चर्स से करें: अपने हाथ से ओके साइन बनाएं और उसे पर पेनिस को रखें। इससे इंद्री को सही तरीके से सपोर्ट मिलेगा और उसका आकार स्‍वत: बढ़ेगा। इसे कम से कम 7 मिनट तक करना चाहिए।

2. अंगूठे से एक्‍सरसाइज: अपने अंगूठे को इंद्री के निचले हिस्‍से में रखें और बाकी की उंगलियों को ऊपर से नीचे लाएं। ऐसा 10 सेकेंड तक करें, इससे पेनिस टाइट हो जाएगा। ऐसा आप बेडरूम में जाने से पहले कर लें।

3. स्‍ट्रॉकिंग तरीका:इंद्री के लिए स्‍ट्रॉकिंग तरीका काफी कारगर होता है। इससे बॉडी में ब्‍लड़ सर्कुलेशन के साथ-साथ इंद्री में भी अच्‍छी तरह ब्‍लड़ सर्कुलेट होता  है।

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